सारांश
चन्द्रप्रभु मंदिर के श्रीमद् जिनेन्द्र पंचकल्याणक प्रतिष्ठा प्राण महामहोत्सव के तीसरे दिन किशनगढ़ में ऐतिहासिक जुलूस वर्धमान सभागार से निकला गया। यात्रा में 6 हाथी व 2 घोड़ों के अलावा 8 बग्घियों में पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव के प्रमुख पात्र इन्द्र-इन्द्राणी सवार थे। पूरा मार्ग जिनेंद्र भगवान के जयकारों से गूंज उठा। पढ़िए विस्तृत रिपोर्ट…
मदनगंज-किशनगढ़। श्री मुनिसुव्रतनाथ दिगंबर जैन पंचायत व सकल दिगम्बर जैन समाज की ओर से इंदिरा नगर स्थित शांतिनाथ दिगम्बर जैन मंदिर और सिटी रोड स्थित चन्द्रप्रभु मंदिर के श्रीमद् जिनेन्द्र पंचकल्याणक प्रतिष्ठा प्राण महामहोत्सव के तीसरे दिन किशनगढ़ में ऐतिहासिक जुलूस वर्धमान सभागार से निकला गया। यात्रा में 6 हाथी व 2 घोड़ों के अलावा 8 बग्घियों में पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव के प्रमुख पात्र इन्द्रगण सवार थे। तीन बैंड की मधुर ध्वनियों के बीच निकली यात्रा का जगह-जगह विभिन्न समाज के लोगों ने पुष्पवर्षा कर अभिनंदन किया।
यात्रा जैन आर्मी, बारा महिला मंडल, वीर सेवक मंडल सहित पूरे भारतवर्ष के विभिन्न क्षेत्रों से जैन समाज के पुरुष व महिलाएं उमड़े। यात्रा पुरानी मिल तिराहे, सिटी रोड, आदिनाथ मंदिर, अजमेर रोड होते हुए मुनि सुव्रतनाथ दिगम्बर जैन मंदिर पहुंची। वहां से जुलूस मुख्य चौराहे, पुरानी मिल तिराहे, आरके लिंक रोड के मोड होते हुए पुनः क्रिस्टल पार्क स्थित वर्धमान सभागार पहुंचा। वात्सल्य वारिधि आचार्यश्री वर्धमान सागर महाराज ससंघ के सानिध्य एवं गणिनी आर्यिका सरस्वती माताजी ससंघ की मौजूदगी में पाण्डुक शिला पर तीर्थंकर जिन बालक को विराजमान कर सौधर्म इन्द्र के अभिषेक करने के बाद राजकुमार, जयकुमार, निर्मलकुमार, प्रदीप कुमार दोषी परिवार हरसौली वालों की ओर से स्वर्ण कलश से जिन तीर्थंकर बालक का अभिषेक किया गया।
बाद में महामहोत्सव के पात्रों द्वारा 1008 कलशों से भगवान का जन्माभिषेक जयकारों के बीच मनाया गया। जैन समाज के लोगों में उमड़े सैलाब के चलते सभागार में शांतिनाथ भगवान, चन्द्रप्रभ भगवान व आचार्य वर्धमान सागर महाराज के जयकारे गूंजे।
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