सारांश
सनावद में मुनि श्री चारित्र सागर के समाधि दिवस पर विशेष पूजन का आयोजन किया गया। मुनि श्री ने राजस्थान के विभिन्न नगरों में जैनधर्म का प्रचार- प्रसार किया था। पढ़िए पूरी खबर।
सनावद। नगर गौरव वात्सल्य वारिधि 108 आचार्य वर्द्धमान सागर के परम शिष्य, नगर में जन्में म्हारी माँ जिनवाणी स्तुति के सुमधुर गायक पूज्य मुनि 108 चारित्र सागर जी का 21वां समाधि दिवस चरणाभिषेक और विशेष पूजन के साथ उत्साह से मनाया गया।
सन्मति काका व लोकेन्द्र जैन ने बताया कि आचार्य श्री वर्द्धमान सागर जी के बाद नगर से दीक्षा लेने वाले चारित्र सागर जी प्रथम शिष्य थे। मुनि श्री ने अपने दीक्षित जीवन में काफी लंबे समय तक गुरु सान्निध्य में रहकर व्रत उपवास किये थे। मुनि श्री ने राजस्थान के विभिन्न नगरों में भ्रमण कर धर्म प्रभावना करते हुए जैनधर्म का प्रचार- प्रसार किया।
2001 में किया था चातुर्मास
कमल जैन ने बताया कि सन् 2001 में अपनी जन्मनगरी सनावद में चातुर्मास के दौरान संलेखना को अंगीकार करते हुए उन्होंने अपने प्राणों का विसर्जन किया। ज्ञातव्य हो कि 2001 में चातुर्मास के दौरान मुनि चारित्र सागर जी के साथ मुनि हित सागर जी, मुनि अपूर्व सागर जी, मुनि देवेंद्र सागर जी और क्षुल्लक नमित सागर जी ने भी चातुर्मास के दौरान संयम साधना करते हुए नगर में धर्म प्रभावना की थी। उनके 21वें समाधि दिवस पर अनेक मुनि भक्तों ने खरगोन रोड स्थित समाधिस्थल पर एकत्र होकर अपनी भावांजलि व्यक्त की।
श्रद्धालुओं ने किया भक्तामर पाठ
समाधि स्थल पर अशोक पंचोलिया, सुरेश मुंशी,पवन धनोते, राजेन्द्र जटाले, प्रदीप पंचोलिया, श्रीकांत जटाले,प्रशांत जैन, सुनील पंचोलिया, समर कंठाली,अजय पंचोलिया इंदौर, श्रीमती,पदमा जैन, सन्ध्या जैन,हेमा जैन,पुष्पा जैन,बाला जैन मंजुला भूंच सहित बड़ी संख्या में उपस्थित श्रद्धालुओं के द्वारा भक्तामर पाठ किया गया। भक्तों ने विशेष भजन प्रस्तुत किए। अंत में प्रभावना वितरित की गई।
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