सारांश
साल की पहली शनिश्चरी अमावस्या 21 जनवरी को होगी । इस बार खास संयोग है कि मौनी शनिश्चरी अमावस्या पर शनि अपनी मूल त्रिकोण राशि कुंभ में रहेंगे । इस दौरान खप्पर योग, चतुरग्रही योग, षडाष्टक योग व समसप्तक योग भी बनेंगे । इसलिए इस बार की शनिश्चरी अमावस्या खास होगी । यह जानकारी ज्योतिषीय गणना पर आधारित है । इस पर विश्वास,अपने विवेक से कीजिए, धार्मिक क्रियाकलापों के साथ कर्मशील बने रहिए ।
हर तिथि का एक विशेष महत्व होता है । जिसमें अमावस्या तिथि का खास महत्व है । साल की सभी 12 अमावस्या में यह एकमात्र अमावस्या है । जिसमें स्नान, दान के अलावा मौन व्रत रखने का खासा महत्व है । इस दिन मौन रहकर जप, तप, साधना, पूजा पाठ किए जाते हैं । पौराणिक मान्यताओं में माघ मास की अमावस्या को दान पुण्य करने से सभी प्रकार के कष्टों और पापों से मुक्ति मिलती है ।
शनिवार 21 जनवरी को साल की पहली शनिश्चरी अमावस्या रहेगी । इस दिन माघ महीने का मौनी अमावस्या पर्व भी होगा । माघ महीने में शनिवार को अमावस्या का होना बहुत ही खास माना गया है । ग्रंथों में इस शुभ संयोग को स्नान-दान का महापर्व कहा गया है । इस दिन किए गए पुण्य कर्म से कई यज्ञ और कठिन तपस्या करने जितना शुभ फल मिलता है ।
मौनी अमावस्या पर शनिश्चरी अमावस्या और शनि संयोग
मौनी अमावस्या पर शनिश्चरी अमावस्या के साथ ही शनि का भी संयोग बन रहा है। इस विशेष संयोग पर मुनिसुव्रत भगवान और चौबीस तीर्थंकर की पूजा और अभिषेक से खुशहाली मिलेगी और जीवन के कष्ट भी दूर होंगे । 21 जनवरी दिन शनिवार को 30 साल बाद मौनी शनिचरी अमावस्या के मौके पर शनि अपनी मूल त्रिकोण राशि कुंभ में मौजूद रहेंगे।
मौनी अमावस्या तिथि का आरंभ 21 जनवरी शनिवार सुबह 6:17 से प्रारंभ होकर 22 जनवरी तड़के 2:22 तक रहेगी । उदया तिथि के अनुसार मौनी शनिश्चरी अमावस्या है । इसलिए इसे 21 जनवरी को मनाई जाएगी। इस मौके पर शनि, सूर्य और शुक्र की युति से खप्पर योग का निर्माण होगा ।
यह खप्पर योग 7 जनवरी से 7 मार्च तक यानी माघ मास से फाल्गुन मास के मध्य खप्पर योग निष्पादित रहेगा। इसके बाद 22 अप्रैल से 15 मई तक चतुर ग्रही योग का निर्माण होगा।
साथ ही 10 मई से 30 जून तक शनि का षडाष्टक योग। तत्पश्चात मंगल, शनि का समसप्तक योग भी घटित होगा। इस दौरान विश्व पटल पर अप्रत्याशित घटनाएं देखने को मिल सकती हैं।
20 साल बाद ऐसा संयोग
जब कोई अमावस्या शनिवार को पड़ती है तो उसे शनिचरी अमावस्या कहा जाता है। इस बार शनिवार 21 जनवरी को माघ महीने की पहली शनैश्चरी अमावस्या है । शनिवार को अमावस्या का शुभ संयोग कम ही बनता है । आज से 20 साल पहले, यानी 1 फरवरी 2003 को ऐसा शुभ संयोग बना था। जब माघ महीने की अमावस्या शनिवार को पड़ी थी और इसी दिन मौनी अमावस्या पर्व मना था।
अब ऐसा योग चार साल बाद यानी 6 फरवरी 2027 को बनेगा। इस दिन अमावस्या तिथि पर पूर्वा अषाढ़ नक्षत्र, उत्तराषाढ़ा नक्षत्र, सर्वार्थ सिद्धि योग , हर्षण योग, ब्रज योग, चतुर पाद करण योग भी बन रहा है । इसके साथ ही चंद्रमा शनि की राशि मकर में संचरण करेंगे ।
सूर्योदय से पहले शुरू होगी अमावस्या
21 जनवरी को सुबह करीब 6.20 से माघ महीने की मौनी अमावस्या शुरू होगी। जो कि दिनभर रहेगी और रविवार की रात तकरीबन 2.20 तक रहेगी ।
शनिश्चरी अमावस्या
माघ कृष्णपक्ष अमावस्या तिथि आरंभ- शनिवार 21 जनवरी, 06:17 से
माघ कृष्णपक्ष अमावस्या तिथि समाप्त- रविवार 22 जनवरी, तड़के सुबह 02:22 तक
शनिश्चरी अमावस्या उपाय
मुनिसुव्रत भगवान की पूजा,अभिषेक,जाप,चालीसा आदि करना चाहिए । जिसे शनि ग्रह से होने वाली हानि से बच सकते है । संयोग*
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