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शिक्षित नारी ही आधार स्तम्भ: गुरुवर विशुद्ध सागर जी की देशना


सारांश

गुरुवर विशुद्ध सागर जी के उपदेश जो कालजयी हैं और उनको अपनाकर भारत ही नहीं, पूरा विश्व प्रगति, उन्नति के मार्ग पर चल सकता है, उन्हीं उपदेशों को लिपिबद्ध किया है राजेश जैन दद़ू, इंदौर ने। आप भी पढ़िए…


 

भो ज्ञानी! जिस देश में नारी शिक्षित है, उस देश का विकास सुनिश्चित है।।

ये भारत देश नारी को पैरों की जूती नहीं समझता है। भारत देश में नारी को पूजा जाता है। जैसे मंदिर में भगवान को पूजा जाता है ऐसे ही मित्र। भगवान बनना है तो माँ के उदर से ही जन्म होगा।।

 

भो ज्ञानी! भारत की नारी की शोभा श्रृंगार, दानी से नहीं है। भारत की नारी की शोभा शील के श्रृंगार से है।।

 

हे माँ! आज गर्भ कल्याणक के दिन इतना नियम कर लो, मात्र जन्म देना ही मत सीखो। बच्चों को संस्कार भी दो।।

 

हे श्रमणों! रुकने से पानी सड़ जाता है और रुकने से साधु बिगड़ जाता है।।

 

हे माँ ! जो अपने बच्चों को संस्कार के सिंहासन पर बिठालना सिखाए।।

 

भो ज्ञानी! जिनके चित्त मलिन हैं, उनको पानी से स्नान करना पड़ता है। जिनका चित्त पवित्र होता है उनको ज्ञान नीर में स्नान करना पड़ता है।।

 

हे माँ! गोद उनकी भरती है जो किसी की गोद नहीं मिटाती है।

 

अहो महतारियों! यदि अपनी गोद भरना चाहती हो तो न पृथ्वी का गर्भपात करवाओ और न अपना गर्भपात करवाओ।।

।।जो है सो है।।

  ।।नमोस्तू शासन जयवत हो।।

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