सारांश
राजस्थान के पूर्वी क्षेत्र में जैन समुदाय का एक अत्यधिक चमत्कारिक मूर्ति है जिसके दर्शन करने आए श्रावक स्वयं बताते हैं कि यहां आकर उन्हें अलौकिकता का आभास होता है । जानिए विस्तार से….
भगवान आदिनाथ की चमत्कारिक जैन मंदिर की मूर्तियों की चर्चा जब होती है सवाईमाधोपुर के चमत्कारिक मंदिर का नाम सबसे पहले आता है। चमत्कारजी जैन मंदिर श्री आदिनाथ भगवान को समर्पित यह मंदिर चार सौ साल से अधिक पुराना माना जाता है। कहा जाता है कि इस मंदिर में बहुत चमत्कारी शक्तियां हैं। इसलिए इसका नाम “चमत्कार मंदिर” है । शरद पूर्णिमा पर एक वार्षिक मेले के आयोजन के लिए यह मंदिर प्रसिद्द है ।
उस समय, एक बड़ी संख्या में जैन तीर्थयात्री मंदिर आते हैं । चमत्कारजी जैन मंदिर भी उन कई पर्यटकों को आकर्षित करता है,जो यहाँ इस जगह के जादुई और अलौकिक वातावरण का अनुभव करने आते हैं । आलनपुर गांव में बने इस मंदिर तक आने-जाने को लेकर कई सुविधाएं हैं जिनसे जैन श्रावक देश के विभिन्न हिस्सों से यहां आते हैं और अपना मनोरथ पूरा करते हैं ।
सवाई माधोपुर रेलवे स्टेशन से इसकी दूरी तीन किलोमीटर है । जबकि बजरिया बस स्टेशन से भी इसकी दूरी तीन किलोमीटर है । दिल्ली-मुंबई रेल मार्ग की वजह से यहां देश भर से लोग आते हैं और दर्शन लाभ उठाते हैं ।
भू-गर्भ से मिली थी स्फटिक मणि की प्रतिमा
श्री1008 भगवान आदिनाथ की स्फटिक मणि की प्रतिमा मंदिरजी से एक किलोमीटर की दूरी पर भूगर्भ से मिली थी। प्रतिमाजी की प्रतिष्ठा होने के बाद अनेक अतिशय होने से क्षेत्र का नाम चमत्कारजी पड़ा। नसरूद्दीन व सफरूद्दीन नाज़िमों की मनोकामनाएँ पूर्ण होने पर उनके द्वारा यहाँ छत्रियों का निर्माण कराया गया था। यहाँ वर्ष में 5 बार मेले लगते हैं। सवाई माधोपुर में 10 भव्य जिनालय हैं। मंदिर पर शरद पूर्णिमा और भगवान आदिनाथ जयंती पर यहां मेला भरता है। इसके आस-पास जैन तीर्थ स्थल और मंदिर हैं।
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