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श्रीफल जैन न्यूज़ की विशेष सीरीज़ : जानिए, कहां है 3000 साल पुरानी आदिनाथ मूर्ति ?, क्या है गाय के अपने आप दूध देने की क्या है कहानी…

 


सारांश

जैन धर्म आज का नहीं बल्कि आदिकाल से जैन इस देश में अपनी परंपरा और विरासत को संजोए हुए हैं । इसके कई उदाहरण अक्सर देश में देखने मिल जाते हैं । श्रीफल जैन न्यूज़ आपके सामने देश के प्रमुख आदिनाथ मंदिरों की कहानी लेकर आया है । इसके ज़रिए आप जैन परंपरा की प्राचीनता और विशिष्टता से अवगत हो पाएंगे । जानिए विस्तार से…अमरावती के भातकुली अतिशय क्षेत्र में बने आदिनाथ मंदिर की कहानी…


भगवान आदिनाथ मोक्ष कल्याणक पर विशेष सीरिज आदिनाथ के मंदिर

महाराष्ट्र के जैन समुदाय को इस बात का निश्चित ही गौरव होगा कि उनके यहाँ अमरावती जिले के भाटकुली में 1008 भगवान श्री आदिनाथ स्वामी दिगंबर जैन संस्थान जैसा जैन परंपरा और आस्था का विशिष्ट केन्द्र है । असल में, श्री भातकुली जिसे भोजकुट भी कहते हैं । यह प्राचीन विदर्भ का एक शहर है, जिसे भगवान कृष्ण की प्रमुख रानी रुक्मिणी के भाई रुक्मी ने स्थापित किया था। भाटकुली महाभारत काल के दौरान राजा रुक्मी द्वारा बनवाई गई काले पत्थर से बनी भगवान आदिनाथ की एक आकर्षक प्राचीन मूर्ति के लिए प्रसिद्ध है। यह मूर्ति उन्होंने एक भव्य मंदिर में स्थापित की थी । पुरातत्वविदों के अनुसार यह मूर्ति 3000 साल से भी ज्यादा पुरानी है । इस स्थान पर पत्र शातवाहन, वाकाटक और राष्ट्रकूट साम्राज्य का एक हिस्सा था। उसके बाद इस क्षेत्र का पतन शुरू हुआ।

मुगलों से बचाने ज़मीन में गाड़ दी थी मूर्ति

ईस्वी 1156 में आदिनाथ की इस प्राचीन मूर्ति को मुगलों से बचाने के लिए किले में भूमिगत छिपा दिया गया था। यह गुप्त स्थिति 18वीं शताब्दी तक बनी रही। 18वीं सदी के अंत में गांव के मुखिया के सपने में आदिनाथ की मूर्ति आई और उन्हें अपने बारे में बताया। भगवान आदिनाथ ने उन्हें बताया कि मूर्ति के स्थान पर और एक गाय अपने आप दूध दे रही है। स्वप्न के अनुसार उचित स्थान की तलाश की गई और वह मिल गया। इस प्रकार आदिनाथ स्वामी की प्राचीन चमत्कारी मूर्ति प्राप्त हुई ।

पूज्य आचार्य श्री नेमसागरजी महाराज मूर्ति के चमत्कारों को जानकर वहां पहुंचे। उन्होंने मूर्ति को देखा और फैसला किया कि यह जैनियों के पहले तीर्थंकर भगवान आदिनाथ की एक प्राचीन मूर्ति थी और ग्रामीणों को इस तथ्य के बारे में आश्वस्त किया। फिर वहां एक भव्य दिगंबर जैन मंदिर का निर्माण किया गया और ग्रामीणों के सहयोग से इस चमत्कारी मूर्ति को स्थापित किया गया।

पवित्र दूध से होता अभिषेक, एक बूंद मिलावट नहीं संभव

इस स्थान को लेकर कहा जाता है कि यहां तीन रूप, अलग-अलग समय में दिखाए देते हैं । यहां अभिषेक के लिए आज भी गाय का दूध आता है । अगर कोई गाय वाला दूध में एक बूंद पानी मिला दे, तो वह गाय दूध देना बंद कर देती है या दूध की जगह खून आने लगता है ।

ऐसे बना है ये अद्भुत मंदिर

मुख्य मंदिर भगवान आदिनाथ का मंदिर है, जिसमें प्रमुख देवता भगवान आदिनाथ की प्राचीन चमत्कारी मूर्ति है, जिसमें मू्र्ति पद्मासन में ध्यान की मुद्रा में है और यह मूर्ति काले रंग की है। भाटकुली के ग्रामीणों की इस मूर्ति में वैसी ही आस्था है जैसी जैनियों की है। इसलिए इस गांव को पूरे भारत में भाटकुली जैन के नाम से जाना जाता है । भाटकुली जैन, जिला अमरावती, अतिशय क्षेत्र मुक्तागिरी जी से 77 किलोमीटर की दूरी पर है ।

 ये भी देखे:-  श्रीफल जैन न्यूज़ की आदिनाथ मंदिरों पर विशेष सीरीज़

1. आदिनाथ की ऐसी मूर्ति के दर्शन कीजिए, जिसे देखकर लगे कि बोल रहे हैं स्वयं भगवान

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