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पक्षियों से पेंच न लड़ाएँ, अपना प्रेम जताएं: आज का दिन देवदर्शन, परोपकार में बिताएँ – मुनि श्री पूज्य सागर जी महाराज


सारांश

उत्तर भारत में हर साल पतंगबाज़ी में हज़ारों पक्षी मारे जाते हैं या घायल होकर हमेशा के लिए बेसहारा हो जाते हैं। आज का दिन जैन अनुयायियों के लिए बहुत विशेष भी है। आज के दिन भगवान जिनेन्द्र ने आसमान में भरत चक्रवर्ती को दर्शन दिए थे । जानिए विस्तार से…


 

मकर संक्रांति पर उत्तर भारत में सभी जैनी व अजैनी समाज पतंगबाजी करता है। ऐसा नहीं है कि पतंगबाजी का उत्साह होना गलत है लेकिन एक साथ एक शहर में हज़ारों लोग,छत पर चढ़कर आसमान में एक ही दिशा में आती हवा में पतंगे उड़ाएंगे और पतंगों की तरह उड़ते पक्षियों की उड़ान का रास्ता भी वही है। तो सोचिए, जाने-अनजाने हम कितनी सामूहिक जीव हत्या और जीव पीड़ा का कारण बन रहे होते हैं।

अभी एक श्रावक ने बताया कि हमारी पतंगबाजी के फेर में अकेले दिल्ली में पिछले साल 600 पक्षी घायल हो गए। ये तो वो हैं जिन्हें संभाल लिया गया। न जाने कितने पक्षी, इस दिन अपना जीवन गंवा देते होंगे या ज़िंदगी भर के लिए विकलांग हो जाते होंगे ? क्या हमें इन्हें मारने या बेसहारा करने का हक है ? मकर सक्रांति का ये पर्व जैन धर्म में विशेष महत्व रखता है। आज ही के दिन राजा भरत चक्रवर्ती को आसमान पर भगवान जिनेन्द्र के दर्शन हुए थे।

जैन धर्म के अनुयायियों के लिए देवदर्शन का इससे बड़ा पावन दिन नहीं हो सकता। सभी श्रावक इस दिन का उपयोग परोपकार और देवदर्शन में करें। जैन धर्म का मूल सिद्धांत हैं *अहिंसा परमो धर्म लेकिन इस दिन अगर हम जाने-अनजाने जीव हत्या का कारण बनेंगे तो जैन समाज का हर युवा सोचे कि हम कैसे खुद को अहिंसक कह पाएंगे। हमारी तरह इस संसार में आये हर एक जीव की दिनचर्या है।

अगर हम सुबह छह बजे से शाम 6 7,8 बजे तक हज़ारों की संख्या में छत पर पतंग उड़ाते हैं। हम तो साल में एक ही दिन छत पर दिन बिताते हैं, लेकिन जीवन भर प्रतिदिन यही उपक्रम करते हैं। सुबह उठकर दाने की खोज में अपने घोंसलों से निकलते हैं और मिलों दूर दाना चुगकर शाम को अपने घोंसलों में लौटते हैं। लेकिन मकर सक्रांति पर पतंगबाजी में इस्तेमाल की जाने वाली मांझें की या चाइनीज़ डोर, इन पक्षियों के लिए जानलेवा हो जाती है

। पक्षी तो हैं ही बीते सालों में जयपुर समेत देश के कई शहरों में ये ख़बर सुनने को मिली कि मांझें से मोटरसाइकिल पर आगे बैठे बच्चे का गला कट गया और उनकी जान चली गई। ऐसा शौक किस काम का जो प्राणी व मानवता की मृत्यु का कारण बन जाए। मेरी आप सभी से प्रार्थना है कि जुनून में जीव हत्या न करें। आज का दिन तो हम जिन आराधकों के लिए बहुत ही पावन है। यदि हम जीव हिंसा के बजाए परोपकार में आज का दिन बिताए तो उससे अच्छा क्या होगा।

आज का दिन,सपरिवार देवदर्शन और परोपकार के नाम समर्पित कीजिये। जैन धर्म में परोपकार का विशेष महत्व है। आज अहिंसा और परोपकार मय दिन होना चाहिए। घायल हुए पक्षियों की मदद करें,गरीब लोगों को दान पुण्य कर भगवान जिनेन्द्र के दिग्दर्शन के दिन का महात्म्य नई पीढ़ी तक पहुंचाएं।

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