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जैन धर्म कहता है नमस्कार में चमत्कार है -स्वस्तिभूषण


सारांश

मुरैना में माताजी स्वास्तिभूषण जी के मंगल आगमन के साथ ही मंगल प्रवचनों की श्रृंखला चल रही है । इस कड़ी में आज का वृत्तांत बता रहे हैं मुरैना से हमारे सहयोगी मनोज नायक, पढ़िए विस्तार से…


माताजी स्वास्तिभूषण जी ने कहा कि” प्राणी मोह माया में फसकर, अपने आप को दुखों से मुक्त होने के लिए चमत्कार को नमस्कार करने लगा है । कहावत भी प्रचलित है “चमत्कार को नमस्कार” । जबकि जैन धर्म कहता है कि ”नमस्कार में चमत्कार” है । उक्त विचार जैन साध्वी गणिनी आर्यिका श्री स्वस्तिभूषण माताजी ने बड़ा जैन मंदिर मुरेना में धर्म सभा को संबोधित करते हुए व्यक्त किये ।

पूज्य गुरुमां ने कहा कि प्रत्येक शुभ कार्य को प्रारम्भ करने से पूर्व मंगलाचरण किया जाता है । मंगलाचरण क्या है ? मंगलाचरण एक तरह से नमस्कार ही है । मंगलाचरण में अपने इष्ट को आव्हान किया जाता है, अपने इष्ट को नमस्कार किया जाता है । आप किसी भी ग्रन्थ, पुराण या शास्त्र में मंगलाचरण देखें, सभी में इष्टदेवों को नमस्कार किया गया है ।

नमस्कार करने में यदि विशुद्धि है, प्रभु का गुणानुवाद है और आपके भाव सम्पूर्ण समर्पण के हैं तो चमत्कार होता है । सच्चे मन से, पूर्ण समर्पण के साथ जो प्रभु भक्ति करते हैं यानिकि अपने इष्ट को स्मरण करते हुए नमस्कार करते हैं तो ऐसे भक्तों के साथ देवता भी चमत्कार करते हैं ।

यदि भक्त सच्चे मन से पूर्ण विशुद्धि के साथ प्रभु स्मरण करते हैं, उनकी पूजा आराधना करते हैं, उन्हें नमस्कार करते हैं तो इस नमस्कार में पापों को नाश करने की इतनी शक्ति होती है कि भक्त के ऊपर आने वाली सारी बाधाएं टल जाती हैं, सारे संकट दूर भाग जाते है । प्रभु नाम के जाप में, प्रभु का नमस्कार इतना शक्तिशाली होता है कि वह सभी पापों को क्षय करने की शक्ति रखता है ।

मंच पर विराजित रहे संत और साधक
आज की धर्मसभा का शुभारंभ अनीता दीदी के मंगलाचरण के साथ हुआ । पूज्य गुरुमां गणिनी आर्यिका श्री स्वस्तिभूषण माताजी के साथ क्षुल्लिका श्री सर्वेंद्रमती माताजी, बा.ब्र.बहिन अनीता दीदी, प्रियंका दीदी, ललिता दीदी मंचासीन थीं ।

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