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सम्मेद शिखर जी में आचार्य प्रसन्न सागर जी व्रत साधना: निर्विध्न वक्र का पारणा सम्पन्न


सारांश

सिंह निष्क्रिड़ित उत्कृष्ट व्रत साधना में रत अन्तर्मना आचार्य श्री 108 प्रसन्न सागर जी महामुनिराज का *स्वर्णमयी स्वर्णभद्र कूट मधुबनमें निर्विघ्न पारणा सम्पन हुआ । जानिए विस्तार से पूरी खबर हमारे सहयोगी राजकुमार अजमेरा की रिपोर्ट से


शिखरजी-तीर्थराज सम्मेद शिखर जी की पावन भूमि पर स्वर्णभद्र कूट पर चल रही निरंतर *अंतर्मना आचार्य श्री प्रसन्नसागरजी महाराज की 557 दिवसीय सिंहनिष्क्रिड़ित उत्कृष्ट व्रत साधना मे 03 दिवस के पश्चात आज हुआ मंगल पारणा निश्चित ही वर्तमान मै महावीर के समान साधना करने वाले प्रथम आचार्य अंतर्मना ही है ।

अन्तर्मना आचार्य श्री ने अपनी मौन वाणी से सभी को प्रतिदिन अपनी संदेश में बताया कि कुछ पाने या जानने का मतलब है, निरन्तर अभ्यास ऐसे बनाये रखना.. जैसे नदी का बहता पानी..! मनुष्य किस्मत की डायरी में क्या क्या लिखवाकर आया है, यह तो उसका कर्म और परमात्मा ही जान सकता है। लेकिन किस्मत की डायरी के पृष्ठों को यदि बदलना है तो निरन्तर प्रयास, अभ्यास और सही दिशा की ओर की गई मेहनत ही जीवन की धारा को मोड़ सकती है।

चूंकि यह आलसी अजगरा नन्दो का समय नहीं, बल्कि यह सदी रेत से तेल निकालने वालों की है। मतलब यह परिश्रम की सदी है, मेहनत करने का वक्त है।

परिश्रम और प्रयास में एक बात का सदा ध्यान रखना – जोश, जुनून और जागरूकता के साथ निरन्तर उस दिशा में में अभ्यास बहुत ज़रूरी है, जिस दिशा में हम को मंजिल पाना है। बहुत मेहनत करें पर खूब लगन अभ्यास के साथ। अभ्यास से तात्पर्य है कि निरन्तरता, जोश और जूनून बना रहे।

कहीं ऐसा नहीं हो कि दो-तीन दिन तो उत्साह से किया, फिर ठीक है कर लेते हैं। फिर सात दिन बाद चलो कर आते हैं, फिर 10 दिन जब मन हुआ तब चले गये और काम सल्टाकर आ गये। जैसे नदी का पानी निरन्तर गतिशील रहता है। जैसे हम आप 24 घन्टे स्वांस लेते हैं, कहीं उसमें ब्रेक नहीं देते। वैसे ही कार्य की सफलता के लिए निरन्तर अभ्यास बहुत ज़रूरी है।

यदि हमने जोश जुनून के साथ अभ्यास नहीं किया तो वह सफलता ऐसी ही होगी जैसे देख तो पीछे रहे हैं और दौड़ आगे रहे हैं। जैसे हिरण शेर से तेज दौड़ती है लेकिन वह हिरण शेर की शिकार बन जाती है, क्यों ? क्योंकि शेर जानता है कि उसे छलांग कब लगाना है । उसी प्रकार सफलता के लिये कब छलांग लगाना है यह आपका अभ्यास ही तय करेगा। सौ बात की एक बात — पानी की एक एक बून्द बड़े बड़े पत्थर में भी छेद कर देती है, निरन्तर अभ्यास से…

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