सारांश
जयपुर के सांगानेर में विराजमान परम पूज्य चतुर्थ पट्टाधीश आचार्य सुनील सागर गुरुदेव, के पावन सानिध्य में शुक्रवार को मुनि समर्थ सागर महाराज का संल्लेखना समाधि मरण हो गया था। आज विधि विधान से उनका अंतिम संस्कार किया गया। जानिए ख़बर विस्तार से ….
सम्मेद शिखर तीर्थ क्षेत्र को पर्यटक स्थल घोषित करने के विरोध में मुनि श्री सुज्ञेयसागर महाराज के कदमों पर आगे मुनि समर्थ सागर ने अपनी प्रतिज्ञा की थी कि जब तक सम्मेद शिखर पवित्र तीर्थ घोषित नहीं होता तब तक अन्न का त्याग कर देंगे ।गत 4 दिनों से वे अनशन पर थे। रात्रि में लगभग 9ः00 बजे के आसपास मुनि श्री का स्वास्थ्य बिगड़ने लगा। उन्होंने आचार्यश्री से आशीर्वाद प्राप्त किया ।और 4 अंगुलियां दिखाकर नमोस्तु किया। गुरुदेव की अनुभवी नजर जो सबके भाव को जान लेते हैं। ऐसे पूज्यश्री ने समझ लिया कि वे कहना चाहते हैं, अब केवल 4 घंटे बचे हैं। 4ः10 बजे को दुनिया छोड़ने का समय आ चुका है और यही हुआ । समस्त मुनिराज के सानिध्य में णमोकार मंत्र के साथ और उत्तमारथ प्रतिक्रमण करके परम समता के साथ सांसों को विराम दिया। सांगानेर दिगम्बर जैन मंदिर से वीरोदय नगर के लिए अंतिम डोल यात्रा निकाली गई। नसियां जी में विधि विधान से अंतिम संस्कार किया गया।इस मौके पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु गण शामिल हुए।
जनिए मुनि समर्थ सागर जी का जीवन चरित
राजस्थान जैन युवा महासभा जयपुर के प्रदेश महामंत्री विनोद जैन कोटखावदा ने बताया कि मुनि समर्थसागर का गृहस्थ नाम सुखलाल था। राजस्थान के लोहारिया के रहने वाले थे जहां से अनेक साधु संत बने हैं । सन 2015 में खमेरा पंचकल्याणक में उन्होंने क्षुल्लक दीक्षा ली और मोक्ष मार्ग की ओर कदम बढ़ाए । संघ में रहकर तप सधना में लीन रहते थे। गुरु के वचन सर्वोपरि रखकर सेवा वैयवृत्ति करते थे । समय बीतता गया और सन 2018 में पंचकल्याणक महोत्सव के अवसर पर बागुल जी में एल्लक दीक्षा लेकर तप को आगे बढ़ाया। ध्यान अध्ययन बढ़ता गया।
जैन ने बताया कि सन 2019 में मोहन कॉलोनी बांसवाड़ा के पंचकल्याणक महोत्सव के अवसर पर उन्होंने दिगंबर जैनेश्वरी दीक्षा धारण की । बड़ी सरलता सहजता से साधना करते थे। सरल स्वभावी मुनिराज जब भी कभी कोई कुछ बोलता था तो वह केवल नमो अरिहंताणम् बोलते थे और मुस्कुरा देते थे। गुरु के प्रति गजब की श्रद्धा आस्था थी। जैसा गुरु बोलेंगे वैसा करेंगे। एक यही अंतिम श्वास तक प्रण था। राजस्थान जैन युवा महासभा जयपुर के प्रदेश महामंत्री विनोद जैन कोटखावदा ने बताया कि गत 25 दिसंबर के दिन जयपुर में सम्मेद शिखर के बचाव के लिए मौन जुलूस निकला। जिसमें लगभग 30 35 हजार जैन श्रावकों ने एकत्रित होकर विरोध किया तभी से मुनि श्री ने निर्णय किया कि मैं भी सम्मेद शिखर के लिए अनशन करूंगा और दिनांक 6 जनवरी के दिन उत्तम समाधि मरण किया। आचार्य महावीर कीर्ति जी महाराज का समाधि दिवस के अवसर पर ही मुनि समर्थ सागर ने समाधि साधी।
Add Comment