मुंबई में जैन समाज की विशाल रैली में विधानसभा अध्यक्ष श्री राहुल जी नावरेकर का संबोधन हुआ । इस संबोधन में नावरेकर जी ने कहा कि –
“ये जो हमारी परिश्रम भरी कोशिश है वो कभी नाकाम नहीं होगी । जैन समाज संख्या में छोटा है, लेकिन भारत की उन्नति में और भारत के निर्माण में जैन समाज का हाथ कोई नहीं पकड़ सकता । जैन समाज ने हमेशा को समाज को दिया है, कभी कुछ नहीं मांगा । जो आज देते हैं ,उन्हें संभाल कर रखना हम सभी की जिम्मेदारी है ।
ये आश्वासित करने आया हूं, कि आपके परिश्रम व्यर्थ नहीं जाएंगे, एक सप्ताह में हमारी मनोकामना पूरी हो जाएगी । इस परिश्रम में आपके साथ कंथे से कंधा मिलाकर चलूंगा । जैन भाइयों ने देश और महाराष्ट्र के निर्माण में योगदान दिया है उसे व्यर्थ नहीं जाने देंगे ।
मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री से मिलने वाला हूं, आपका संदेश दिल्ली तक आपकी आवाज पहुंचाएंगे . जब तक जैन भाई-बहनों को न्याय नहीं मिलता, हम आपके साथ जुड़ कर रहेंगे । कोई समझता है कि जैन समुदाय संख्या में कम है और इसीलिए हर एक फैसला मानेगा तो मैं गली-गली तक यह आवाज पहुंचाना चाहता हूं कि देश समुदाय के साथ अखंड हिन्दुस्तान है ।
ये मांग सिर्फ जैन समाज की नहीं बल्कि पूरे हिन्दुस्तान की है । महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष होने के नाते कहना चाहता हूं – ये प्रस्ताव लाएंगे कि जैन तीर्थ स्थान ही नहीं जैन शब्द स्थान पर कोई भी निर्णय होगा वो जैन समुदाय को विश्वास में लेकर ही होगा । आपके साथ कल थे, आज हैं और कल भी रहेंगे । विधायक,अध्यक्ष तो आज बनें लेकिन जैन भाइयों की वजह से ही यहां हम पहुंच सके हैं । ”
हम किसी के प्राण तो नहीं ले सकते लेकिन अपने प्राण जरूर दे सकते हैं
हम अपने तीर्थ के लिए किसी के प्राण तो नहीं ले सकते लेकिन हम अपने प्राण जरूर न्यौछावर कर देंगे । जैन समाज के पास ऐसे-ऐसे संत है जो 400 दिनों का निरंतर उपवास करने की क्षमता रखते हैं । स्वधर्म की रक्षार्थ आत्मबलिदान करने में जैन पीछे नहीं रहेंगे ।
सरकार अगर हमारी नहीं सुनती तो जैन अपने मन की सुनेंगे । हम अहिंसा के मार्ग पर चलने वाले हैं लेकिन अपने तीर्थ को बचाने साम,दाम,दंड,भेद की युक्तियां जानते हैं । ये भावनाएं अलग-अलग वक्ताओं ने मुंबई के आजाद मैदान मंच में दिए अपने उद्बोधन में व्यक्त की ।
जैन समाज को एकजुट आंदोलन की जरूरत
आजाद मैदान मंच पर आए लोगों की संख्या इतनी थी कि जहां तक नजरें गई वहां सिर्फ मस्तकों के समूह ही नजर आ रहे थे । जैन समाज के नेताओं ने कहा अब वक्त आ गया है कि सकल जैन समाज एकजुट होकर आंदोलन करे । छोटी-मोटी रैलियों,धरनों से समाधान नहीं होगा ।
या तो मुंबई का आजाद मैदान भरेगा या फिर दिल्ली का रामलीला मैदान । मुंबई में लाखों लोगों की भीड़ को संबोधित करते हुए वक्ताओं ने कहा कि- जैन समाज दान के लिए अपने हाथ खुले रखता है लेकिन राजनीतिक दलों के लिए जाने-अनजाने हम स्टेज बन जाते हैं । वो आते हैं और भाषण देकर चले जाते हैं ।
महादानी भामाशाह युद्धभूमि में खुद को न्यौछावर करने का भी दिया था प्रस्ताव
जैन समाज ने अपने पूर्वज और इतिहास में महादानी के रूप में जाने वाले भामाशाह के गौरवशाली इतिहास का जिक्र कर जैन समाज की भावनाओं से सरकारों को अवगत करवाया । वक्ताओं ने कहा कि – “अगर हम पैसा कमाना चाहते हैं, हम दान देना जानते हैं तो हम तलवार उठाना भी जानते हैं ।
भामाशाह ने सारी पूंजी महाराणा को दान कर दी और कहा कि अगर वो भाला उठाकर जा सकते हैं ।
संख्या बल भले कम, लेकिन हम नहीं किसी के कम
मुंबई के मंच से वक्ताओं ने कहा कि लोग कहते हैं कि हम संख्या में एक करोड़ ही है । क्या करेंगे । लेकिन हम बता देना चाहते हैं कि हम भले ही सीमित संख्या में हों लेकिन देश के 20-25 करोड़ लोगों को रोजगार देने की क्षमता रखते हैं । जैन समाज ने सभी धर्मों को गले लगाया है । हमनें हिन्दू,मुस्लिम,सिख,इसाई में भेद नहीं किया है । हम किसी भी पार्टी जीता सकते हैं और किसी भी पार्टी को हरा सकते हैं ।
जैन समाज के साथ हर साल,दो साल में साजिश
मुबंई में वक्ताओं ने सम्मेद शिखर, हर दो साल में हमारे साथ इस तरह की छेड़खानी चल रही है । इस बार ऐसा समाधान चाहिए कि कोई भी जिंदगी भर हमारे धर्म के बीच कोई नहीं आए । ऐसा संविधान बनाया जाए कि हमारी सरकारें ऐसा फैसला करें कि, आप देखिए महात्मा गांधी ने उपवास से देश आजाद करवाया । हमारे यहां तो ऐसे संत है जो 400 उपवास एक बार में ही कर लेते हैं । हर व्यक्ति हमें आदर देगा. हमारी रक्षा का बीडा उठाएगा ।
झारखंड में स्थानीय लोगों को उकसाया जा रहा है
मुबंई में सकल जैन समाज की हुई रैली में वक्ताओं ने कहा कि सम्मेद शिखर के आस-पास स्थानीय लोगों के लिए कहा जा रहा है कि वे स्थानीय लोग हैं और मदिरा का सेवन करना उनकी परंपराओं का हिस्सा है । हम सरकारों से अनुरोध करते हैं कि ये सही भी होगा लेकिन जैन समाज का देशव्यापी सबसे बड़ा तीर्थ स्थल वहां है ।
सिखों के सबसे बड़े स्थान स्वर्ण मंदिर के आस-पास भी मांस-मदिरा के सेवन पर पाबंदी है । जब स्वर्ण मंदिर में ऐसा हो सकता है तो भारत में क्यों नहीं ? शिखर,पालिताना क्षेत्र में अतिक्रमण का जिक्र करते हुए वक्ताओं ने कहा कि जिस तरह की साजिशें जैन समाज के विरुद्ध हो रही हैं, उसके विरोध में जैन समाज इकठ्ठा हुआ है ।
साम,दाम,दंड,भेद का सहारा भी लें, लेकिन तीर्थों को बचाए जैन समाज- आर्यिका प्रज्ञाश्री
मुंबई के सकल जैन समाज की वृहद रैली को संबोधित करते हुए माताजी आर्यिका प्रज्ञाश्री जी ने कहा कि – “हम यह क्षेत्र नहीं जाने देंगे । चारों समुदाय यहां इकत्रित हुए, सभी को साधुवाद, जहां तक दृष्टि जा रही है ,हमें लोग दिखाई दे रहे हैं । हमारी सकल समाज में शांति बनी रहे और सम्मेद शिखर सुरक्षित रहे ।
मुबई जैसे स्थान में सम्मेद शिखर की बात उठ रही है । ये जैन समाज में आई चेतना का परिणाम है ।
जैन बनकर जन्म लिया, जैन बनकर मर जाउंगा
माताजी ने अपने उद्बोधन में जैन समाज में चेतना जगाने वाली पंक्तियों को सुनाया और कहा कि – “चलता है अग्निपक्ष पर, चलता जाउँगा । जैन बनकर जन्म लिया है, जैन बन कर ही मर जाउंगा ।”
रैली में लोगों को संबोधित करते हुए संतों ने कहा कि – पीएम मोदी से जैन समाज की अपील है कि हमें आप जैसे लोगों के सहयोग की आशा है । हमें 15 दिन हीं, जल्द से जल्द समाधान चाहिए । सिर्फ तीर्थ स्थान नहीं, जैनियों का तीर्थ क्षेत्र घोषित करें ।
किसी के लिए बिजनेस, ट्यूरिस्ट प्वाइंट,हमारे लिए आस्था का प्वाइंट
किसी के लिए ये बिजनेस प्वाइंट तो किसी के लिए यह ट्यूरिस्ट प्वाइंट होगा । मगर जैन समाज के लिए ये हमारी आस्था का प्वाइंट है । इसे हम तबाह नहीं होने देंगे । हम अहिंसा के पुजारी है अगर अहिंसा के साथ अगर काम नहीं हुआ । हम साम,दाम,दंड,भेद का सहारा लेंगे लेकिन अपना स्थान जाने नहीं देंगे ।
मुंबई की सड़कों पर जैन समाज के दर्द का सैलाब
पद्मसागर जी महाराज ने कहा कि सभी के ह्दय में महानतम पवित्र स्थानों के प्रति जो आस्था है, और आस्था की प्रतीक यह रैली है । पवित्रता बरकरार रहे, इसके लिए सकल जैन समाज मुबई में है । जैन अहिंसक है तो सड़कों पर कैसे, जैनों को कोई शौक नहीं है।
लेकिन जैनों के दिल और श्रद्धा पर चोट पहुंची है, उसका दर्द मुबंई की सडकों पर दिख रहा है । पवित्र तीर्थ घोषित करना ये सरकार की जिम्मेदारी है । हमारे तीर्थ स्थानों पर न मांस चलेगा और न शराब चलेगी । सम्मेद शिखर, शत्रुंजय क्षेत्र में दस किमी तक शराब,मांस,अंडा न आए ये हमारी मांग है ।
इसके अलावा तीसरी मांग, दोनों महान तीर्थों की सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए जाएं । जैन क्या करेंगे या न हीं करेंगे , इसकी समीक्षा नहीं करेंगे । जैन प्राण लेने में नहीं, प्राण देने में विश्वास रखता है । अगर तीर्थ नष्ट हो गए तो देश भी नष्ट हो जाएगा । भारत विश्व गुरु है, इसकी गुरुता खतरे में आ जाएगी ।
मुंबई में समस्त जैन समाज संगठनों ने इस आयोजन का आह्वान किया था । भारत जैन महामंडल, भारत वर्षीय दिगम्बर तीर्थ रक्षा कमेटी,श्री दिगम्बर जैन ग्लोबल महासभा,सकल दिगम्बर जैन समाज,श्वेतांबर जैन मूर्तिपूजक समाज,श्वेतांबर स्थानकवासी जैन समाज,श्वेतांबर तेरापंथी जैन समाज की ओर से संयुक्त आयोजन किया गया था ।
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