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जयपुर में सुज्ञेय सागर का देवलोकगमन: सम्मेद शिखर जी को लेकर त्याग रखा था अन्न जल- शांत भाव से शरीर त्याग कर तीर्थ रक्षा के लिए अमर हो गएः आचार्य सुनील सागर

जयपुर :  तीर्थ संस्कृति के केन्द्र है इनसे हमारे देश का इतिहास और संस्कृति का विस्तार होता है।तीर्थ राज सम्मेद शिखर जी की रक्षा के लिए मुनिश्री सुज्ञेय सागर जी महाराज ने अन्न का त्याग कर रखा था और मंगलवार को ब्रह्ममूहर्त में तीर्थ रक्षा के लिए ब्रह्मलीन हो गए ।सम्मेद शिखर जी के लिए किसी जैन संत की यह पहली आहुति है।

संत कुछ कर नहीं सकते लेकिन देश में चेतना तो जागृत कर ही सकते हैं । उक्त आशय के उदगार सांगानेर जयपुर में विराजमान आचार्य श्री सुनील सागर महाराज ने धर्म सभा को सम्बोधित करते हुए व्यक्त किए ।

शिखर जी के लिए नजीर बन गए एक संत: धर्म सभा का संचालन करते हुए तीर्थ वंदना के सह सम्पादक विजय धुर्रा अशोक नगर ने कहा कि तीर्थ राज सम्मेद शिखर जी के लिए अन्न त्याग कर अनसन कर रहे मुनिश्री सुज्ञेय सागर जी महाराज का वलिदान खाली नहीं जायेगा हम इस आन्दोलन को जब तक अहिंसक रूप से जारी रखेंगे तब तक की तीर्थ राज को पवित्र क्षेत्र घोषित नहीं कर दिया जाता ।

आज हम भारत वर्ष की जैन समाज ऐसे संत के चरणों में अपनी विनाजंलि अर्पित करते हैं ।अब सरकार को सीधे ऐसा निर्णय लेना चाहिए जिससे कि ये अहिंसक समाज अपनी आस्थाओं के केन्द्र के प्रति आशान्वित हो सके ।

कठिन साधना करने वाले संत थे सुज्ञेयसागरजी:  इसके पहले आचार्य शशांक सागर महाराज ने कहा कि मुनिश्री ने सिंह निष्क्रिडित व्रत की आधी यात्रा तय कर ली थी ।वे बड़े तपस्वी संत थे। राजस्थान में जन्म लेकर गुजरात के गिरनार पर्वत पर दीक्षा पा क्षुल्लक शैलेश सागर बने फिर बांसवाडा में जेनेश्वरी दीक्षा पा मुनि सुज्ञेयसागर बन आज तीर्थ राजसम्मेद शिखर जी के लिए अपनी देह को त्याग दिया ।

उन्होंने तप साधना करते हुए अहिंसा धर्म की प्रभावना में अपना जीवन समर्पित कर दिया। इसके पहले कमेटी के अध्यक्ष प्रेम बज ,महामंत्री सुरेश कासलीवाल, नरेंद्र पांड्या, राकेश रावका, संजय छाबड़ा, ज्ञानचंद सोगानी महावीर प्रसाद जैन ,नरेंद्र बज सहित अन्य भक्तों जनों ने अपने श्रद्धा सुमन अर्पित किए।

अंतिम यात्रा में जुटे जैन समाज के हजारों युवा – जैन मुनि के सम्मेद शिखरजी को लेकर देह त्याग की खबर आग की तरह फेल गई। देखते ही देखते सांगानेर में युवाओं का हुजूम इकट्ठा हो गया। हजारों की संख्या में स्त्री पुरुष बच्चे जय जय कार करते हुए अंतिम यात्रा में शामिल हुए।

मुनि श्री के डोला उठाने का सौभाग्य विजय कुमार अजमेरा, ज्ञान चंद ,अशोक सोगानी, दिनेश , कमलेश जडावत भी मंडी मुम्बई को मिला। यह शोभायात्रा संघीजी मन्दिर से रवाना होकर शिकारपुरा जैन नसियां रोड होते हुए वीरोदय नगर पहुंची जहां हजारों भक्तों ने मुनि संघ के सान्निध्य में अंतिम संस्कार किया।पूरा आसमान जयकारों से गुंजायमान हो उठा।

आचार्य सुनील सागर से लिया आशीर्वाद – मुनि श्री सुज्ञेय सागर के देवलोकगमन की खबर पाकर दोपहर में पूर्व मंत्री राजपाल सिंह शेखावत, भारतवर्षीय दिगम्बर जैन तीर्थ क्षेत्र कमेटी राजस्थान अंचल के अध्यक्ष राज कुमार कोठ्यारी, राजस्थान जैन सभा के अध्यक्ष सुभाष चन्द जैन, मंत्री विनोद जैन कोटखावदा, भाजपा जयपुर शहर के पूर्व जिलाध्यक्ष संजय जैन, कुलदीप मिश्रा, वरुण पथ मानसरोवर जैन मंदिर के अध्यक्ष एम पी जैन, श्री दिगम्बर जैन महिला महासमिति की राष्ट्रीय अध्यक्ष शीला डोड्या, सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालु गण दोपहर में संघीजी मंदिर सांगानेर पहुंचे तथा मुनि श्री सुज्ञेय सागर महाराज के प्रति संवेदना व्यक्त करते हुए आचार्य सुनील सागर, शशांक सागर महाराज,गणिनी आर्यिका भरतेश्वरमति माताजी ससंघ से आशीर्वाद प्राप्त किया। इससे पूर्व गणिनी आर्यिका भरतेश्वरमति माताजी ससंघ मालपुरा रोड स्थित श्री जी नगर से सैकड़ों श्रद्धालुओं के साथ आचार्य श्री ससंघ के दर्शन करने सांगानेर पहुची।

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