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सम्मेद शिखर : जैन समाज का आंदोलन आया निर्णायक मोड़ पर- राष्ट्रपति मुर्मू को दिया ज्ञापन, इससे पहले हुआ जबर्दस्त हंगामा

 

शांति प्रिय और संयमित जीवन की मिसाल देने वाले जैन समाज के लिए यह पहला मौका है कि वो इस तरह आंदोलन कर रहे हैं । सकल जैन समाज बेचैन है कि जिस सम्मेद शिखरजी के प्रति करोड़ों जैन अनुयायियों की बात की अनदेखी क्यों और कैसे कर सकती है । जो सम्मेद शिखर जैन अनुयायियों को शांति देता था, उसी को उजाड़ने की सरकारी तैयारी से जैन समाज उद्वेलित हो चुका है । अब वो निर्णायक दो टूक बात करना चाहता है ।

देश की राजधानी दिल्ली में जैन समाज के लोग इंडिया गेट के बाहर झारखंड सरकार और केंद्र सरकार के खिलाफ मार्च करने जुटे । जैन समाज के लोगों का कहना था कि तीर्थ राज सम्मेद शिखरजी को पर्यटक स्थल घोषित नहीं किया जाना चाहिए । सरकार से इस मांग को लेकर जैन समाज लगातार विरोध कर रहा है । जैन समाज के लोग राष्ट्रपति को ज्ञापन सौंपने जा रहे थे हालांकि पुलिस ने उन्हें रोक लिया । इंडिया गेट पर भारी संख्या में जैन समाज के लोग इकट्ठे हुए थे ।

दरअसल जैन समाज के लोगों की मांग है कि तीर्थ राज सम्मेद शिखरजी को पर्यटक स्थल घोषित ना किया जाए । अहमदाबाद, मुंबई, दिल्ली समेत पूरे देश के कई हिस्सों में जैन समाज के लोग सम्मेद शिखर को पर्यटक स्थल घोषित किए जाने का भारी संख्या में विरोध कर रहे थे । जैन समाज का कहना है कि सम्मेद शिखरजी को पर्यटक स्थल घोषित करना और इसी दिशा में इसका विकास करना पूरे जैन समाज के मुंह पर तमाचा है ।

जैन समाज का कहना है कि सम्मेद शिखरजी तीर्थंकर की मोक्ष भूमि है। सरकार का ये फैसला इस पवित्र भूमि को अपवित्र करने के उद्देश्य से किया गया है। जैन समाज सम्मेख शिखर, पारसनाथ हिल और मधुवन को इको सेंसिटिव जोन घोषित करने की मांग पर अड़ा है। जैन समाज का कहना है कि पर्यटन स्थल बनाए जाने से सम्मेद शिखर की पवित्रता और अखंडता समाप्त हो जाएगी। जैन समाज ने आरोप लगाया है कि ये कदम सत्ताधारी सरकार ने षडयंत्र के चलते उठाया है।

जैन समाज के मुताबिक सरकार द्वारा पर्यटन स्थल घोषित किए जाने के बाद तीर्थराज पर्वत पर सरकार होटल, रेस्टोरेंट, बार आदि बनाकर शराब, मांस-मदिरा की अनुमति देकर जैन समाज की आस्था के साथ खिलवाड़ करेगी ।

 

 

समाज में आई ऊर्जा से राष्ट्रीय नेता भी हतप्रभ

जैन समाज के साथ हो रहे अन्याय को अब कोई राष्ट्रीय नेता भी दिशा देने की स्थिति में नहीं रहा है । श्रीफल जैन न्यूज़ ने जैन संगठनों के राष्ट्रीय प्रतिनिधियों से आंदोलन की रूपरेखा और आगे की रणनीति पर बात की । सभी की अपनी-अपनी राय तो थी लेकिन सभी सम्मेद शिखर को लेकर चल रहे आंदोलन को मिल रही ऊर्जा से हतप्रभ है । नेताओं के मुताबिक ऐसा इतिहास में कभी देखने नहीं मिला है ।

गजराज गंगवाल, अखिल भारत वर्षीय दिगम्बर जैन महासभा –
” समाज का ये आंदोलन एतिहासिक है । ये बताता है कि जैन समाज के लिए सम्मेद शिखरजी के लिए क्या भावनाएं हैं। सरकार और सिस्टम को इसे समझना होगा । हमारी बात एक ही है कि झारखंड सरकार की अनुशंसा पर 2019 में केन्द्र सरकार ने गजट नोटिफिकेशन निकाल लिया । इसे वापस लिया जाएगा ।

क्योंकि सरकार ने वहां प्रक्रिया पालन नहीं किया । आप स्वयं बताइए, पर्यावरण मंत्रालय की बेवसाइट पर आपत्तियां मांग ली, इसे कौन और कितना देखता है ? हमारे मुद्दे समझे जाने चाहिए थे । हम प्रधानमंत्री मोदी के साथ भी भूपेन्द्र यादव जी के द्वारा संपर्क में थे । प्रधानमंत्री जी का धनतेरस के दिन लेटर भी आया था ।

लेकिन तब से लेकर आज तक कुछ भी नहीं हुआ । गजराज जी ने कहा कि हमें सेन्चुअरी या ईको सेंसेटिव जोन से कोई दिक्कत नहीं । हमें 5 अगस्त ,2019 को सेंट्रल से नोटिफिकिशन निकला है जिसमें यह पर्यटन स्थल बनाया है । यह तय है कि इससे यहां मछली पालन, मुर्गीपालन,रिसोर्ट जैसी गतिविधियां होंगी ।

इसे तुरंत रोकने की जरूरत है । इस सिलसिले में गजराज जी ने झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से मुलाक़ात की थी, लेकिन अब तक फैसला नहीं होने से असमंजस के हालात बने हुए हैं । गजराज जी ने भविष्य की रणनीति को लेकर श्रीफल जैन न्यूज़ से कहा कि -” जैन समाज का आदमी हर व्यक्ति स्वंत्रत है ।

स्थिति कंट्रोल से बाहर नहीं है क्योंकि न सरकार और न ही जैन समाज कोई पक्की रणनीति तैयार पाने की स्थिति में है । सम्मेद शिखर जी जैन संस्कारों में रची-बसी बात है । इसे लेकर चल रहे आंदोलन को कोई दिशा नहीं दे सकता , ये स्वत: स्फूर्त है ।”

वहीं दिल्ली में हुए आज के घटनाक्रम पर पारस जैन लुहाड़िया ने बताया कि -”
शिखरजी को लेकर दिल्ली में विश्व जैन संगठन के बैनर तले आज जिस तरह से जैन समाज ने अपनी ताकत दिखाई है । उससे सरकारों में भय हो गया है । हमने आज राष्ट्रपति को ज्ञापन दिया और आने वाले वक्त में आंदोलन को और तेज किया जाएगा । विश्व जैन संगठन के अध्यक्ष संजय जैन आमरण अनशन पर बैठे हैं ।

समाज के लोग अगर दिल्ली आ सकते हैं तो वें आएं, अगर नहीं आ पाएं तो हम गांव-गांव में क्रमिक अनशन का कॉल दे रहे हैं । अब यह आंदोलन तेज होगा । संजय जैन जी छह दिन के आमरण अनशन पूरे होने के बावजूद स्वस्थ हैं और हमारी टीम लगातार उनके स्वास्थ्य की निगरानी कर रही है ।

हम जगह-जगह अहिंसक आंदोलन करेंगे और जैन समाज के तीर्थराज को हर हाल में बचाएंगे । श्रीफल जैन न्यूज़ ने इस मामले में अशोक बड़जात्या जी से भी उनकी राय जानी। उनके अनुसार, आंदोलन को हमें संयमित तरीके से ही चलाना चाहिए । आज राष्ट्रपति भवन पर मार्च कर लिया अगर ये समुचित अनुमति से होता तो और प्रभावशाली होता ।

हमें संयम को खोना नहीं चाहिए अन्यथा ये पूरा आंदोलन अलग दिशा में जा सकता है । बड़जात्या जी ने कहा कि एक दो दिन में हम शिखरजी के मुद्दे पर जैन समाज की प्रमुख पांच संस्थाओं और विश्व जैन समुदाय के साथ चर्चा करेंगे और इस समस्या में आगे की रणनीति तैयार करेंगे ।

जैन समाज के आंदोलन के मुद्दे पर श्रीफल जैन न्यूज़ ने समाज के राष्ट्रीय नेता शिखर चंद पहाड़िया से भी बात की । पहाड़िया ने कहा कि दिल्ली में चल रहे आंदोलन पर वह कोई टिप्पणी नहीं करेंगे । जैन समाज की 5 संस्थाओं ने जो संयुक्त ज्ञापन दिया है , हम इसी मुद्दे पर सरकारों से बात कर रहे हैं।

श्रीफल जैन न्यूज़ में 2016 में बने पारसनाथ प्राधिकरण के नियम, उप-नियमों के संबंध में सवाल पूछे तो शिखर चंद पहाड़िया ने अन्य कार्य में व्यस्त होने की बात कहकर सवाल को टाल दिया। पहाड़िया ने कहा कि जैन समाज की बात सरकारों तक पहुंच रही है इसीलिए आंदोलन को संयमित और अहिंसात्मक बनाए रखना जरूरी है।

 

सम्मेद शिखर जैनियों के लिए बहुत संवेदनशील मामला

दरअसल, जैन समाज का कहना है कि सम्मेद शिखरजी तीर्थंकर की मोक्ष भूमि है । सरकार का ये फैसला इस पवित्र भूमि को अपवित्र करने के उद्देश्य से किया गया है। जैन समाज सम्मेख शिखर, पारसनाथ हिल और मधुवन को इको सेंसिटिव जोन घोषित करने की मांग पर अड़ा है ।

जैन समाज का कहना है कि पर्यटन स्थल बनाए जाने से सम्मेद शिखर की पवित्रता और अखंडता समाप्त हो जाएगी । जैन समाज ने आरोप लगाया है कि ये कदम सत्ताधारी सरकार ने षडयंत्र के चलते उठाया है। सरकार का ये कदम पाकिस्तान में हो रहे अल्पसंख्यकों के साथ होने वाले अत्याचार के तुल्य ही है।

जैन समाज ने मांग की है कि सरकार इस पवित्र स्थल की सुरक्षा को बनाए रखने के लिए इसे पर्यटन स्थल बनाए जाने का फैसला वापस ले। जैन समाज के मुताबिक सरकार द्वारा पर्यटन स्थल घोषित किए जाने के बाद तीर्थराज पर्वत पर सरकार होटल, रेस्टोरेंट, बार आदि बनाकर शराब, मांस-मदिरा की अनुमति देकर जैन समाज की आस्था के साथ खिलवाड़ करेगी ।

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