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संयमी जीवन जीने वालों को ग्रह शुभ फल देते हैं-स्वस्तिभूषण माताजी: शास्त्री परिषद के शिक्षण प्रशिक्षण शिविर में उद्बोधन

मनोज नायक- स्वस्तिधाम प्रणेत्री गणिनी आर्यिका श्री स्वस्तिभूषण माताजी का ज्ञानतीर्थ मुरेना में चल रहे शास्त्री परिषद के शिक्षण प्रशिक्षण शिविर में उद्बोधन हुआ । पूज्य गणिनी आर्यिका माताजी ने ज्योतिष शास्त्र के अनुसार नवग्रहों की व्याख्या करते हुए कहा कि यदि सांसारिक प्राणी सदाचरण के साथ जीवन यापन करता है तो बुरे ग्रहों का प्रभाव स्वमेव कम हो जाता है ।

क्योंकि कोई भी कर्म तब तक अपना फल नहीं दे सकता, जबतक उसके योग्य द्रव्य, क्षेत्र, काल का भाव नहीं मिलता । जैसे कि अशुभ कर्म का उदय आने बाला है और आप मन्दिर जी में भगवान की पूजन भक्ति में लीन हैं तो वह कर्म अपना फल दिए बिना ही लौट जाएगा ।

यदि मनुष्य सदैब भगवान की पूजा अर्चना करे, संयम के साथ जीवन जिये, शांत स्वभाव रखे तो बुरे ग्रह भी अपना प्रभाव दिखाए विना लौट जाते हैं । पूज्य आर्यिका माताजी ने बताया कि हर पुदगल प्रतिक्षण किरणें फेंक रहा है । ये किरणें दो तरह की होती हैं, शुभ व अशुभ ।

संसार की बस्तुओं की कीमत इन्ही किरणों के कारण होती है ।जैसे कांच, स्फटिक एवं हीरा दिखने में एक जैसे होते हैं लेकिन तीनों की किरणों का प्रभाव अलग अलग है । कारण कांच सस्ता, स्फटिक मध्यम एवं हीरा को उत्तम माना गया है । वर्तमान में इसे पॉजिटिव-निगेटिव एनर्जी कहते हैं ।

इसी प्रकार ग्रह धरती पर आते हैं, जैसे सूर्य चन्द्रमा की किरणें । ये जो ग्रहों की किरणें होती हैं, वे हमें दिखाई नहीं देती, बल्कि वे अपना शुभ-अशुभ प्रभाव छोड़ती हैं । धूप सर बचने के लिए हम छाता तो लगा लेते हैं, लेकिन सूर्य की किरणों के अच्छे बुरे प्रभाव से नहीं बच सकते ।

इसके लिए तो भाव परिवर्तन का पुरुषार्थ आवश्यक है । इसी तरह अन्य ग्रहों की किरणों को रोकने का भी उपाय है ।

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