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आचार्य भगवन श्री विद्यासागर जी महाराज का आह्वान सम्मेद शिखर पर बोले – अहिंसक हैं मगर कायर नहीं

हाल ही में सम्मेद शिखर को लेकर उपजी परिस्थितियों में आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज के वचनों का एक वीडियो वायरल हो रहा है, जिसमें आचार्य श्री गुरुदेव ने कहा कि – सरकारों को जैन समाज से वोट और नोट दोनों मिलते हैं ।

लेकिन ये सरकारें समाज के लिए कुछ नहीं कर रही है । आचार्य श्री ने सम्मेद शिखर आंदोलन को अहिंसक तरीके से और आगे बढ़ाने की जरूरत पर जोर दिया ।

जानिए, संत शिरोमणि आचार्य श्री विद्यासागर जी का व्यक्तित्व

संत शिरोमणि आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज सबसे प्रसिद्ध आधुनिक दिगंबर जैन आचार्य में से एक हैं । वह अपनी विद्वता और तपस्या, दोनों के लिए जाने जाते हैं । महाराज श्री का जन्म कर्नाटक में हुआ था और उन्होंने राजस्थान में दीक्षा ली थी ।

वे आम तौर पर अपना अधिकांश समय बुंदेलखंड क्षेत्र में बिताते हैं, जहां उन्हें शैक्षिक और धार्मिक गतिविधियों में पुनरुत्थान का श्रेय दिया जाता है । महाराज श्री के वचनों को जैन धर्म में श्रावक भगवन वाणी के रूप में लेते हैं । महाराज श्री का जन्म विद्याधर के रूप में 10 अक्टूबर 1946 को कर्नाटक के बेलगाम के सदलगा में हुआ था ।

शरद पूर्णिमा के दिन जन्म आचार्य श्री के पिता श्री मल्लप्पा थे, जो बाद में मुनि श्री मल्लीसागर बने और अंततः समाधि प्राप्त की । उनकी मां श्रीमती बाद में आर्यिका समयामती बनीं । उन्हें 1968 में अजमेर में आचार्य श्री शांतिसागर के वंश के आचार्य श्री ज्ञानसागरजी द्वारा मुनि दीक्षा दी गई थी । 1972 में आचार्य का दर्जा दिया गया था ।

शास्त्रीय (संस्कृत और प्राकृत) और कई आधुनिक भाषाओं, हिंदी, मराठी और कन्नड़ के विशेषज्ञ, वे हिंदी और संस्कृत के एक विपुल लेखक रहे हैं। कई शोधकर्ताओं ने परास्नातक और डॉक्टरेट की डिग्री के लिए उनके कार्यों का अध्ययन किया है ।

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