श्रीफल जैन न्यूज़ संवाददाता – सम्मेद शिखर पर आया संकट समाज को आंदोलित किए हुए हैं । मगर अब क्या होना चाहिए, आप और आपका संगठन क्या चाहता है ?
पारस लोहाडे,(राष्ट्रीय युवा अध्यक्ष, श्री दिगम्बर जैन ग्लोबल महासभा) – जैन समाज के लिए ये बहुत संवेदनशील मामला है । सरकार अब कह रही है कि पर्यटन क्षेत्र नहीं बना रहे । लेकिन अब तो हम ये भी चाहते हैं कि ईको सेंसेटिव जोन भी सरकार न बनाएं । जैन समाज पर इतनी कृपा है कि हम तो आर्थिक रूप से एक स्थान क्या, एक पूरा राज्य चला सकते हैं ।
इसीलिए सरकार जो जरूरी हो वही काम करे । बिजली,पानी की व्यवस्था कर दे,शेष सारा काम हमारी जैन कमेटियों को सौंप दें । जैन समाज से ज्यादा पर्यावरण मित्र कौन हो सकता है ।
श्रीफल जैन न्यूज़ संवाददाता- ये तो आज की बात रही,जिसमें सरकार को आप लोगों ने चेताया है । लेकिन तीर्थ स्थानों में पवित्रता का क्षरण तो वर्षों से चला आ रहा है ।
पारस लोहाडे,(राष्ट्रीय युवा अध्यक्ष, श्री दिगम्बर जैन ग्लोबल महासभा)- इसमें तो जैन समाज को भी अपने लोगों को समझाकर स्थितियों को कंट्रोल में लेना पड़ेगा । तभी हम शिखर जी को पवित्र रख पाएंगे । आज हम लोग ही जूते पहनकर, गाड़ियों से शिखर जी पर यात्रा करेंगे तो फिर कैसे अन्य लोगों को रोक पाएंगे ।
शिखर जी की यात्रा से पहले घर के सभी सदस्यों को, खासकर माताओं को अपने बच्चों को बचपन से ही ऐसे संस्कार देने चाहिए कि शिखरजी की यात्रा में पवित्रता का भाव मन में रम जाए । तभी इस स्थान की महिमा सुरक्षित रह पाएगी ।
श्रीफल जैन न्यूज़ संवाददाता – आज की ये स्थितियां हैं, लेकिन आज लोग कह रहे हैं कि ये घटना भविष्य के लिए भी सबक है । क्या आप भी ऐसा सोचते हैं, अगर हां, तो क्या होना चाहिए ?
पारस लोहाडे,(राष्ट्रीय युवा अध्यक्ष, श्री दिगम्बर जैन ग्लोबल महासभा) – हो सकता हो हमारे कई अंदरूनी विवाद हों । दिगबंर -दिगंबर संस्थाओं में, दिगंबर-श्वेताबंर के बीच, लेकिन मेरा मानना है कि हजारों सालों से जो तीर्थं स्थान हमारे बीच हैं, उनके संरक्षण और वहां रची-बसी संस्कृति के लिए कॉमन कमेटी बनानी चाहिए । आपसी एकता बहुत ज़रूरी है । चारों संप्रदाय के लोग इस कमेटी में शामिल हों । राष्ट्रीय स्तर पर एक कमेटी बनानी चाहिए ।
श्रीफल जैन न्यूज़ संवाददाता – आप कह रहे हैं सम्मेद शिखर को लेकर ये होना चाहिए, वैसा होना चाहिए । मगर सवाल ये है कि आंदोलन का नेतृत्व कौन कर रहा है, कौन बंद का कॉल दे रहा है ?
पारस लोहाडे,(राष्ट्रीय युवा अध्यक्ष, श्री दिगम्बर जैन ग्लोबल महासभा)- ये तो वाजिब सवाल है । आंदोलन तो होता ही नहीं अगर विश्व जैन संगठन के संजय जी जैसे लोग समस्या को चिन्हित नहीं करते । मैं एक संगठन की बात नहीं कर रहा लेकिन अब समय आ गया है कि सामाजिक स्तर पर ऐसी कमेटियां बनें, जिनके सदस्यों की कोई राजनीतिक महत्वाकांक्षाएं न हों । एक-एक सदस्य को सोच-समझकर पदाधिकारी बनाएं ताकि राजनीति न हों । अगर हम ऐसा नहीं कर पाए तो मुझे लगता है कि 8-10 साल के बाद एक भी तीर्थ स्थल नहीं बच पाएगा ।
जैन तीर्थस्थलों में अजैन लोगों का आना-जाना बढ़ गई हैं । छोटे-छोटे कई तीर्थ क्षेत्रों में ऐसी गतिविधियां बढ़ गई है । ज्यादातर स्थानों पर कारण देखेंगे तो हमारे अपने अंदरूनी विवाद हैं । मेरा तो यह भी मानना है कि जिन स्थानों का प्राचीन स्थल के रूप में हमारे ग्रंथों में लिखा गया है ।
उस स्थानों पर तो तुरंत राष्ट्रीय कमेटी बनाकर संरक्षण अपने हाथों में लेने का काम हो । आपको जानकर आश्चर्य होगा कि मेरे पास ऐसी कई जानकारियां हैं कि जैन मंदिरों की मूर्तियां चोरी हो गई, मिल भी गई लेकिन पुलिस या पुरातत्व विभाग से इसे लाने के लिए हमारे पास कोई तथ्य नहीं हैं, सबूत नहीं है ।
मेरा तो मानना है कि जैन समाज की सभी धरोहर, धर्मशालाओं, मंदिरों और मंदिरों में रखी मूर्तियों का डेटाबेस बनाया जाए । जब देश में सवा सौ करोड़ लोगों का आधार बन सकता है तो 1-2 या 5 लाख मंदिर,मूर्तियों का डेटा क्यों नहीं बन सकता । मेट्रोमोनियल जैसी साइट्स पर भी मेरी चिंताएं हैं ।
मुझे लगता है कि ऐसा ही सब कुछ चलता रहा तो आने वाले दस-बीस सालों में प्योर जैन परिवार ही न मिलें । हमें बडे़ विजन को लेकर, मास्टर प्लान बनाकर जैन समाज की गतिविधियों को आगे बढ़ाना चाहिए । तभी स्थितियां सुधरेंगी ।