ललितपुर.सुनील जैन । आचार्य श्री विशुद्धसागर जी महाराज के परम प्रभावक शिष्य मुनि श्री सुप्रभसागर जी महाराज, मुनि श्री प्रणातसागर जी महाराज, मुनि श्री सौम्य सागर जी महाराज, मुनि श्री अनंग सागर के सान्निध्य में मड़ावरा विकासखंड में स्थित अतिशय क्षेत्र कारीटोरन में गुरुवार को पंचकल्याणक महोत्सव में भगवान का तप कल्याणक श्रद्धा-आस्था पूर्वक मनाया गया।
महोत्सव के प्रचारमंत्री डॉ. सुनील संचय ने बताया कि तप कल्याणक विधि-विधान के साथ आयोजित हुआ, जिसमें सर्वप्रथम प्रातः 6.30 बजे से अभिषेक, शांतिधारा, जन्मकल्याणक पूजन, स्वप्न, अन्न प्राशन विधि की गई। इसके बाद 9 बजे से राजदरबार, राज्याभिषेक, राजतिलक और चक्ररत्न की उत्पत्ति की विधि की गई। दोपहर में महाराजा का दरबार, राज्याभिषेक, मुकुटबद्ध राजाओं द्वारा भेंट समर्पण की क्रियाओं को किया गया।
तीन बजे से परिनिष्क्रमण कल्याणक विधि, दीक्षा संस्कार, वैराग्य, लोकांतिक देवों का आगमन दर्शाया गया। तपकल्याणक को नाट्यरूप में प्रस्तुत किया गया, जिसमें राज्याभिषेक के बाद युवराज को वैराग्य आ जाता है। संसार की क्षणभंगुरता के बोध से युवराज को संसार से वैराग्य हो गया और उनके जैनेश्वरी दीक्षा की प्रक्रिया मंचित की गई। इसके बाद दीक्षा विधि हुई।
इस मौके पर भारत सरकार के पूर्व केन्द्रीय राज्य मंत्री प्रदीप जैन आदित्य ने मुनिश्री को श्रीफल भेंट कर आशीर्वाद प्राप्त किया। महोत्सव समिति ने उनका सम्मान किया। इस अवसर पर मुनि श्री सुप्रभसागर जी ने कहा कि जब वैराग्य आता है तो संसार के सारे सुख नश्वर होते हैं। जैसे आज आपने देखा युवराज को कैसे संसार से वैराग्य हो गया।
उनके पास संसार के सारे वैभव हैं लेकिन जब उन्हें वैराग्य आया तो सारे वैभव को त्याग कर दिगंबरत्व को धारण करते हैं। संसार का यह रूप, सम्पदा क्षणिक है, अस्थिर है, किन्तु आत्मा का रूप आलौकिक है, आत्मा की संपदा अनंत अक्षय है। उन्होंने कहा कि मिट्टी जैसे कुम्भकार रूपी गुरु के निर्देशन में तपकर सौभाग्यवती माताओं के मस्तक पर शोभायमान हो जाती है, उसी प्रकार गुरु के निर्देशन में तप धारण करने वाली आत्मा भी परमात्मा बन जाती है।
आज जन्म का उत्सव वैराग्य के महामहोत्सव में बदल गया। मंगलाचरण विशा श्री महिला मंडल ने किया। आचार्य श्री विद्यासागर पाठशाला की छोटी -छोटी बालिकाओं ने बारह भावना का मंचन किया। स्वस्ति महिला मण्डल मड़ावरा ने तप कल्याणक पर अनूठी प्रस्तुति दी। मुनिश्री के पाद प्रक्षालन का सौभाग्य सौधर्म इंद्र पलास जैन- तान्या जैन छिंदवाड़ा को मिला। शास्त्र भेंट का सौभाग्य नीरज जैन बाझल परिवार छिंदवाड़ा ने प्राप्त किया।
मुनि श्री सुप्रभसागर जी के पड़गाहन का सौभाग्य सुरेश जैन टीकमगढ़ को, मुनि श्री प्रणतसागर जी को आहारदान का सुअवसर नितिन जैन टीकमगढ़ को, मुनि श्री सौम्यसागर जी महाराज आहारदान का पुण्य अवसर अशोक जैन कपासिया को, मुनि श्री अनंग सागर महाराज के पड़गाहन का अवसर विकास जैन, राजीव जैन सौंरई वाले ललितपुर की मातेश्वरी को प्राप्त हुआ।
विधि-विधान पंडित महेश जैन, पंडित महेंद्र जैन प्राचार्य, पंडित अखिलेश जैन, पंडित राकेश जैन ने सम्पन्न कराया।
आयोजन को सफल बनाने में महोत्सव की आयोजन समिति व उप समितियों, विभिन्न स्वयंसेवी संगठनों का उल्लेखनीय योगदान रहा। इस दौरान सैकड़ों की संख्या में श्रद्धालु उपस्थित रहे। दोपहर 4 बजे मुनि श्री सुप्रभ सागर जी द्वारा सम्यक समाधान के कार्यक्रम में श्रद्धालुओं की अनेक जिज्ञासाओं का समाधान किया गया। शुक्रवार को महोत्सव में ज्ञान कल्याणक के अवसर पर 26 जिन वेदिका का शिलान्यास विधि-विधान के साथ किया जाएगा।