जयपुर। जैन धर्मावलम्बियों के शाश्वत तीर्थ श्री सम्मेद शिखर जी को पर्यटक क्षेत्र घोषित किए जाने के विरोध में रविवार को पूरे समाज ने मिल कर प्रदर्शन किए। इस मुद्दे पर समाज की एकता जरूरी है और वह रविवार को देश भर में हुए प्रदर्शनों में नजर भी आई, लेकिन अभी रुकना नहीं है।
यह लड़ाई लम्बी चल सकती है, इसलिए पूरे देश का दिगम्बर और श्वेताम्बर जैन समाज सही ढंग से रणनीति बना कर इस पर काम करने की जरूरत है।
सम्मेदशिखर जी जैन धर्म का शाश्वत तीर्थ हैै। जैन धर्म के 20 तीर्थंकर यहां से मोक्ष पधारे हैं और ना जाने कितने ही मुनिराज ने यहां समाधि ली है। ऐसे में इस महातीर्थ को सरकार पर्यटन क्षेत्र घोषित कर रही है। ऐसा हुआ तो यह क्षेत्र धार्मिक स्थल ना रह कर एक ऐसा क्षेत्र बन जाएगा, जहां मांस, मधु और शराब का सेवन रोका नहीं जा सकेगा और क्षेत्र की पवित्रता पूरी तरह से नष्ट हो जाएगी।
यह सही है कि यह क्षेत्र वनक्षेत्र है और इसका संरक्षण जरूरी है, लेकिन इसके लिए इसे पर्यटन क्षेत्र घोषित करने की आवश्यकता नहीं है। ऐसा कर पूरे देश के जैन समाज की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाई जा रही है। यही कारण है कि पूरे देश से अब सरकार की इस कोशिश का विरोध हो रहा है।
रविवार को दिल्ली में विरोध प्रदर्शन के साथ ही इंदौर, बांसवाड़ा, डूंगरपुर, झुमरी तलैया, मनावर, एटा,भिलुडा सहित देश भर में प्रदर्शन हुए और समाज ने एकता का प्रदर्शन किया। इस सम्बन्ध में अंतर्मुखी मुनि श्री पूज्य सागर जी महाराज का कहना है कि समाज ने जिस तरह की एकता का प्रदर्शन किया है, उसे आगे भी बनाए रखना है और इस विषय पर विरोध का स्वर तब तक मंद नहीं करना है, जब तक कि सरकार यह विचार पूरी तरह त्याग नहीं देती।
उन्होंने कहा कि जैन धर्म के शाश्वत तीर्थ के साथ इस तरह की छेड़छाड़ का अंहिसक तरीके से पुरजोर विरोध होना चाहिए, क्योंकि यह तीर्थ पूरे जैन समाज के लिए अलग ही महत्व रखता है।
आचार्य श्री वि़द्यासागर जी महाराज के शिष्य मुनि पुंगव सुधासागर जी महाराज ने भी एक प्रवचन में कहा है कि जिस तरह संल्लेखना के सम्बन्ध में पूरे जैन समाज ने एक साथ हो कर विरोध प्रदर्शन किया था और समाज को सफलता मिली थी, उसी तरह सम्मेदशिखर को बचाने के लिए भी पूरे समाज को एक साथ आना चाहिए। उन्होंने इस मुद्दे पर श्वेतावम्बर समाज को भी सहयोग करने का आग्रह किया है और कहा कि दोनों समाजों को मिल कर शिखरजी को बचाने के लिए प्रयास करने होंगे।
देश भर में हुए प्रदर्शन
वहीं रविवार को बांसवाड़ा में सकल जैन समाज ने एकजुटता दिखाते हुए जिला मुख्यालय पर प्रदर्शन किया। समाजजनों ने पर्वतराज को पर्यटन मास्टर प्लान में सम्मिलित करने का विरोध किया। समाजजनों की नारेबाजी व प्रदर्शन के दौरान पुलिसकर्मी सुरक्षा व्यवस्था में जुटे रहे। इससे पहले जैन समाजजनों ने प्रतिष्ठान बंद रखे। कुशलगढ़ मैदान में सुबह एकत्र हुए समाजजन प्रमुख रास्तों से रैली के रूप में कलक्ट्री गेट पहुंचे। यहां प्रदर्शन के बाद समाज के प्रतिनिधिमंडल ने प्रशासन को राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री सहित केंद्रीय पर्यावरण मंत्री, झारखंड के मुख्यमंत्री और क्षेत्रीय सांसद के नाम ज्ञापन सौंपकर दखल की मांग की। साथ ही चेताया कि झारखंड सरकार अगर निर्णय वापस नहीं लेती है तो जैन समाज की ओर से आंदोलन तेज किया जाएगा।
वहीं इंदौर में भी सद्भावना परमार्थिक न्यास के नेतृत्व में प्रातः राजवाड़े से गांधी प्रतिमा रीगल चौराहे तक समग्र जैन समाज ने विशाल मौन रैली निकाली, जिसमें लगभग एक लाख लोग सम्मिलित हुए। रैली के गांधी प्रतिमा पहुंचने पर विश्व जैन संगठन द्वारा राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री एवं झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के नाम एसडीएम इंदौर जितेंद्र पाराशर को ज्ञापन दिया गया। ज्ञापन में प्रमुख पांच मांगों का उल्लेख किया गया है, जिसमें शिखर जी को पर्यटन केंद्र बनाने के संबंध में जारी अधिसूचना क्रमांक 2795 को अविलंब रद्द किए जाने, क्षेत्र को मांस-मदिरा मुक्त पवित्र जैन तीर्थ घोषित किए जाने की मांग प्रमुख रूप से की गई है। वहीं झुमरीतिलैया में श्री दिगंबर जैन समाज झुमरी तिलैया के द्वारा रविवार को मौन जुलूस निकाला गया। इसमें सैकड़ों की संख्या में महिलाएं, पुरुष, बच्चे नगर भ्रमण में इस आदेश को वापस लेने का स्लोगन और तख्ती लेकर साथ में चल रहे थे। मनावर नगर में सकल जैन समाज द्वारा तीर्थ सम्मेद शिखर बचाओ आंदोलन के तहत रविवार को दिगंबर श्वेतांबर जैन सकल समाजजन ने नगर के मध्य छोटे मंदिर से मौन जुलूस से निकालकर राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री के नाम ज्ञापन एसडीएम भूपेन्द्र रावत को दिया गया। एटा के श्रीमती दिगंबर पद्मावती पुरवाल पंचायत ने भी जीटी रोड स्थित जैन धर्मशाला से रैली निकाली।
मालूम हो वर्ष 2019 में झारखंड सरकार की अनुशंसा पर वन मंत्रालय, भारत सरकार ने यह निर्णय लिया है। कोडरमा जैन समाज के पदाधिकारियों की टीम ने राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, वन मंत्री भूपेंद्र यादव, मुख्यमंत्री झारखंड हेमंत सोरेन के नाम इस निर्णय को वापस लेने के लिए मेमोरेंडम उपायुक्त कार्यालय, कोडरमा में गोपनीय शाखा के प्रभारी जयपाल सोए को दिया।