जयपुर – -आचार्य भगवन चतुर्थ पट्टाधीश सुनील सागर गुरुदेव ससंघ राजस्थान की पावन धरा ऐतिहासिक नगरी आमेर में विराजमान है। जैनों की नगरी आमेर में जैन समाज के अनेक प्राचीनतम मंदिर है ।आचार्य भगवान ससंघ इस पावन धरा के अंदर विराजित सभी जिनालय के दर्शन हेतु पधारे हैं।
आचार्य भगवान ससंघ मंगलवार को आमेर किले के अवलोकन हेतु पधारे। आचार्य भगवान ने किले का निरीक्षण किया और अपनी मंगलमय वाणी में किले पर उपस्थित सभी पर्यटकों को संबोधित करते हुए कहा कि,
कोई मुखलिश हो गए ,
कोई तबंगत हो गए ।
खाक में जब मिल गए ,
दोनों बराबर हो गए ।।
कोई राजा ,सेनापति ,सेठ, साहूकार हो गए। आज अपन सभी आमेर के किले पर है। इसे देखने के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं। सब यह देखते होंगे कि राजा ने इतना बड़ा बनाया है। कितना सुंदर बनाया है ,और कैसे बनाया होगा। पर जब हमने देखा तब हिसाब लगाया कि इतने बड़े बड़े किले बनाने वाले नहीं रहे तो छोटी-छोटी झोपड़ी के लिए लड़ाई करने वालों का क्या ठिकाना रहा होगा ।
युद्ध में लड़कर के किले जितने वाले तक नहीं रहे ।जिन्होंने अपने दम पर लड़कर सत्ता खड़ी की उनका आज थोड़ा सा नाम है ।और जिन्होंने सिर्फ कर्म ही किए आज उन्हें याद नहीं किया जाता है ।दोनों को भी यहां से जाना पड़ा ।ऐसे में यह समझना जरूरी है कि ,चोरी ,चपाटी लड़ाई ,युद्ध व पाप करके कुछ साथ लेकर नहीं जाना। सभी धर्म के मार्ग पर चलकर आगे आगे बढ़े। धर्म का पालन करें ऐसी मंगल भावना । मंगलवार को आमेर किले पर 2 साधुओं का केशलोच संपन्न हुआ।
बुधवार,7 दिसम्बर को आचार्य सुनील सागर महाराज ससंघ आमेर स्थित श्री दिगम्बर जैन मंदिर नेमीनाथ सांवला जी के बेसमेंट में स्थित चैत्यालय के दर्शन करेगे।इस मौके पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु गण शामिल होंगे।