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मोक्ष कल्याणक के साथ मंदिर में विराजित हुए भगवान

इटखोरी। श्री 1008 शीतलनाथ भगवान की जन्म स्थली इटखोरी में नवनिर्मित दिगंबर जैन शांति मंदिर में पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव विश्व शांति महायज्ञ जैन संत मुनि श्री 108 विशल्य सागर जी के सानिध्य में सम्पन्न हुआ। मंगलवार प्रातः मोक्ष कल्याणक उत्सव के अवसर पर अभिषेक, शांतिधारा, नित्य पूजन का कार्यक्रम हुआ। तत्पश्चात प्रभु का मोक्ष कल्यणाक महोत्सव बड़े ही धूमधाम से मनाया गया। इस अवसर पर मुनि श्री ने कहा कि तीर्थंकर की देशना से ही तीर्थंकर शासन जयवंत होता है। जीवन का अंतिम लक्ष्य निर्वाण है।

निर्वाण के लिए निर्माण की आवश्यकता ह़ै। निर्वाण कैसे हो, इसके लिए भी देशना की आवश्यकता होती है। हम सुख चाहते हैं लेकिन अभी तक क्रोध, मान, माया, लोभ, काम-वासनाओं के बाण बाहर नहीं निकलते हैं, तब तक निर्वाण नहीं होता है। जीवन का अर्थ यह नहीं है कि अर्थ में लग जाओ। जीवन का अर्थ यह है कि परमार्थ में लग जाओ। सुख के बाद दुःख न हो, वही सुख है।

जिस ज्ञान के बाद अज्ञानता हो, वह ज्ञान है। यह साधनों से नहीं, साधना से मिलता है। भवनों से नहीं, भावना से और भावों से मिलता है। अनुकूलता और प्रतिकूलता ये सुख के साधन नहीं है। मन स्वस्थ है तो सभी सुख हैं। धन से इन्द्रियों के साधन जुटा सकते हो लेकिन सुख नहीं खरीद सकते। ये सुविधाएं सुख का कारण नहीं हैं। साधना में सुख है। इससे पहले शिखर पर कलश, ध्वज भी चढ़ाया गया। भगवान की प्रतिमा नए मंदिर जी में विराजमान की गई। जयपुर से आए शिखर चन्द जैन ने कलश स्थापना की। मंदिर निर्माण में सहयोग प्रदान करने वाले सभी लोगों का स्वागत अध्यक्ष कमल जैन, जयपुर ने किया।

सभी कार्यक्रम प्रतिष्ठचार्य अजित शास्त्री रायपुर, अभिषेक जैन कोडरमा, संघस्थ अलका दीदी, भारती दीदी के साथ इटखोरी, जयपुर, कोडरमा, हजारीबाग, रांची, चतरा, चौपारण, रामगढ़, गया जी आदि शहरों से आए भक्तगणों के सानिध्य में हुआ। इस अवसर पर भदलपुर शीतलनाथ तीर्थ क्षेत्र के कार्याध्यक्ष छित्तर मल पाटनी, महामंत्री सुरेश झांझरी, न्यास बोर्ड के अध्यक्ष तारा चंद जैन देवघर आदि भी मौजूद थे। यह जानकारी कोडरमा मीडिया प्रभारी जैन राज कुमार अजमेरा ने दी।

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