इटखोरी। शीतलनाथ भगवान की जन्म भूमि भद्दलपुर इटखोरी में प. पू. सर्वोदयी महाश्रमण सातिशय महायोगी राष्ट्रसंत गणाचार्य श्री 1008 विरागसागर जी महामुनिराज के मंगल आर्शावाद से एवं उनके परम प्रभावक शिष्य झारखण्ड राजकीय अतिथि मुनि श्री 108 विशल्यसागर जी गुरुदेव के मंगल सानिध्य में श्री 1008 मज्जिनेंद्र पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महामहोत्सव का भव्य शुभारंभ घटयात्रा एवं ध्वजारोहण के साथ किया गया।
शुक्रवार को कल्याणक के प्रथम दिन गर्भकल्याणक के सुअवसर पर पूज्य मुनि श्री ने अपने मंगल उद्बोधन में कहा कि ये प्रतिष्ठाएं तो पांच दिनों में पूर्ण हो जाएंगी और मंत्रों के माध्यम से परमात्मा भी बन जाएंगे लेकिन हमारे अंदर जो परमात्मा विराजमान है, उसे बाहर प्रकट करने के लिए मैत्रों की संस्कारों की और इन प्रतिष्ठाओं की आवश्यकता होती है।
मुनि श्री ने कहा कि जब एक पुदगल मंत्रों से ,संस्कारों से पूज्य बन जाता है तो हम तो जीव तत्त्व हैं, हम क्यों नहीं पूज्य बन सकते।जब संस्कार गर्भ रूप से पलते हैं तो हमारी आत्मा भी परमात्मा के रूप में जन्म लेती है। एक भव के संस्कार से नहींस भव -भव के संस्कार से आत्मा, परमात्मा बनती है। हमेशा गर्भकल्याणक मनाओ लेकिन गर्भपात एवं गर्भघात कभी नहीं करना।
क्या पता कौन सी आत्मा गर्भ में परमात्मा के रुप में पल रही हो। सभी कार्यक्रम प्रतिष्ठचार्य अजित शास्त्री, सह पंडित अभिषेक जैन के निर्देशन में हुए। कार्यक्रम में संघस्थ अलका दीदी, भारती दीदी के साथ इटखोरी, हजारीबाग, कोडरमा, रांची,जयपुर के साथ कई शहरों के महानुभाव शामिल हुए। शनिवार को भगवान का जन्माभिषेक होगा।