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रथ शोभायात्रा के साथ हुआ सिद्धचक्र महामण्डल विधान का समापन

मड़ावरा(ललितपुर,प्रियंक सर्राफ)। पूज्य संत गणेश प्रसाद जी वर्णी व ग्यारह भव्य जैन मंदिरों की नगरी मड़ावरा में मुनि अभय सागर, मुनि प्रभात सागर, मुनि निरीह सागर जी के पावन सानिध्य एवं बाल ब्रम्हचारी मनोज भैया ललितपुर के निर्देशन में श्री सिद्धचक्र महामण्डल विधान का विश्वशांति की कामना के साथ महायज्ञ में पूर्णाहुति देकर समापन किया गया। विधान पुण्यार्जक विमलेश कुमार, संतोष कुमार बजाज परिवार के सौजन्य से विधान बीते एक नवंबर से आरम्भ हुआ था। इस दौरान श्रीजी की प्रतिमा को काष्ठ रथ पर विराजमान कर सम्पूर्ण नगर की परिक्रमा की गई।

विधान के समापन अवसर पर कस्बे में भव्य रथ शोभायात्रा निकाली गयी, जिसे आयोजन स्थल से प्रारम्भ कर डाक बंगला होते हुए पुराना बाजार बैरियल चौराहा से वापिस विद्याविहार में समाप्त किया गया। इस दौरान रथयात्रा में मुनि संघ का सानिध्य प्राप्त हुआ। काष्ठ से बने रथ पर विराजमान भगवान जिनेन्द्र देव की प्रतिमा को श्रद्धालु चंवर डुलाते हुए चल रहे थे। इसके साथ ही डीजे की धुनों पर बज रही धार्मिक स्वर लहरियों पर युवा वर्ग बरबस ही थिरकने को मजबूर हो रहे थे। शोभायात्रा में इंद्र-इंद्राणी बने पात्र शुद्ध हथकरघा वस्त्रों को पहनकर पंक्ति बद्ध होकर चल रहे थे तो वहीं जैन समाज की सभी संस्थाओं के महिला-पुरुष अपने अपने नियत स्थान पर पंक्ति बद्ध होकर चल रहे थे।

शोभायात्रा के विद्याविहार पहुंचने पर आयोजक मंडल द्वारा आयोजन के दौरान अपने क्रियाकलापों से निस्वार्थ सहयोग करने वाले सभी सामाजिक बंधुओं, सामाजिक संस्थाओं, पत्रकार बन्धुओं का मंच के माध्यम से आभार व्यक्त किया गया। सकल दिगम्बर जैन समाज मड़ावरा के प्रतिनिधि मंडल ने विधान करवाने वाले पुण्यार्जक परिवार का स्मृति चिह्न, अंगवस्त्र और तिलक लगाकर सम्मान किया। तत्पश्चात मड़ावरा के नगर गौरव बाल ब्रम्हचारी अनुराग भैया ने मंगलाचरण करते हुए मुनि संघ से आशीर्वाद प्राप्त किया।

मुनि संघ ने किया धर्मसभा को संबोधित
धर्मसभा को संबोधित करते हुए मुनि निरीह सागर जी ने कहा कि यह भगवान की भक्ति का ही अतिशय है जो हर कार्य निर्विघ्न सम्पन्न हो रहे हैं। पहले 24 समवशरण विधान हुआ। उसका अतिशय रहा कि विद्याविहार में नया संत भवन बनने की रूपरेखा बनी और अब सिद्ध भगवंतों की आराधना का फल रहा कि पूरी की पूरी गौशाला बनने का मार्ग प्रशस्त हो गया है। मुनि श्री निरीह सागर जी ने कहा कि गौशाला निर्माण में समाज का हर घर अपना सहयोग तन-मन और धन से करे। कोई भी ऐसे महान गौ संवर्धन के कार्य में पीछे ना रहे।

मुनि श्री प्रभात सागर जी ने कहा कि णमोकार मंत्र में पांच पद होते हैं और सकल जैन समाज मड़ावरा द्वारा पांचों पदों की पूजा को बड़े ही हर्षोल्लास के साथ किया जा रहा है और आगे भी बहुत कुछ होना है। निर्यापक श्रमण अभय सागर जी ने सभा को संबोधित करते हुए कहा ऐसी कोई भी वनस्पति नहीं है, जो औषधि के गुण ना लिए हो। अयोग्य कोई व्यक्ति नहीं होता। कोई न कोई विशेषता होती है, बस उनकी उपयोगिता को सामने लाने का प्रयास होना चाहिए।

उन्होंने विधान पुण्यार्जक बजाज परिवार की प्रशंसा करते हुए कहा कि ऐसे आयोजन करवाने के भाव बनाना ही इनके पुण्य का संचय करना है। मड़ावरा में आगामी दिनों में गौशाला बनने के विषय में कहा कि मड़ावरा समाज के सौजन्य से बनने वाली गौशाला आचार्य भगवन के आशीर्वाद से सम्पूर्ण देश में प्रमुख स्थान बनाएगी।

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