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आचार्यश्री विशुद्ध सागर जी ससंघ के मंगल विहार पर गुरुभक्तों के छलके आंसू

आचार्यश्री विशुद्ध सागर जी ससंघ के मंगल विहार पर गुरुभक्तों के छलके आंसू

 

 

रायपुर (राजेश जैन दद्दू)। न जाओ गुरुवर, कुछ दिन और हमें मंगल देशना एवं आशीर्वाद और आपका ससंघ सानिध्य दीजिए। कुछ ऐसे ही भाव चातुर्मास के पश्चात रायपुर से विहार कर रहे आचार्यश्री विशुद्ध सागर जी महाराज ससंघ को रोकने के लिए गुरु भक्तों के थे। विदाई की बेला में गुरु भक्तों की आंखें नम थीं और मन बस यही कह रहा था कि कुछ समय और रुक जाओ गुरुवर। दरअसल आचार्यश्री विशुद्ध सागर जी महाराज ससंघ ने सन्मति नगर फाफाडीह रायपुर से सोमवार दोपहर मंगल विहार किया। इससे पूर्व आचार्यश्री ने अपनी मंगल देशना और गुरु भक्तों को मंगल आशीष दिया।

आचार्यश्री ने कहा कि आप अनुभव करना कि यात्रा के लिए निकलो तो शारीरिक परेशानियां आ सकती हैं लेकिन मानसिक रूप से बहुत शांति मिलती है, इसलिए लोग यात्रा करते हैं। ऐसे ही विहार करेंगे तो श्रमणों का वात्सल्य बढ़ता है। यदि हम विहार न करते तो रायपुर में चातुर्मास कैसे हो पाता? विहार करेंगे तो दूसरी जगह भी चातुर्मास होंगे और सबको आनंद मिलेगा। नदी का पानी बहता रहे तो सब जगह स्वच्छ पानी मिलता है, हर जगह की फसल हरी-भरी होती है।

सरोवर का पानी जगह-जगह की फसल को हरी-भरी नहीं कर पाता। जैन मुनि तालाब नहीं, सागर होते हैं। इनके नाम के साथ सागर लगा होता है। ये समुद्र के समान व गंभीर होते हैं इसलिए इनका विहार नियत है। आचार्यश्री ने कहा कि श्रावकों के अंदर भक्ति, अनुराग व वात्सल्य बढ़ने लगता है। अचानक विहार हो जाए तो इनको झटका लगता है। इसलिए पूर्व से ही भूमिका बननी प्रारंभ हो जाती है। ऐसे में श्रावकों का दुख कम हो जाता है। आचार्यश्री ने कहा कि चार माह तक सकल समाज ने मिलकर चातुर्मास की जो ऊंचाइयां प्राप्त की हैं, उसका प्रतिफल आपने कल संपन्न हुई जैनेश्वरी दीक्षा में देखा है। सन्मति नगर फाफाडीह में लोगों को पैर रखने का स्थान नहीं था। यह सब आपकी अंतस की आस्था व विश्वास है और ललक है।

यही मंगल आशीष है कि जैसे आपने स्थापना से निष्ठापन तक और निष्ठापन से पंचकल्याणक तक, पंचकल्याणक से गोष्ठी तक और गोष्ठी से दीक्षा तक जो आनंद लिया है, ऐसे ही आनंद भविष्य में आने वाले यति संघ के साथ लेना। इसी प्रकार से उनकी सेवा व वैयावृत्ति करना, मैं यह समझूंगा आपने चातुर्मास में बहुत कुछ सीखा है। हम आपको सिखा कर जा रहे हैं कि केवल विशुद्ध सागर व संघ आए तो ही नहीं, बल्कि जितने निर्ग्रन्थ तपोधन पधारें, सब की सेवा करना। आचार्यश्री ने कहा कि बहुत आनंद के साथ मंदिर और चातुर्मास समिति, सकल समाज, संपूर्ण मंदिर की समितियों ने मिलकर इस चातुर्मास को बहुत अच्छे से पूर्ण कराया है।

ध्यान रखना अहिंसा महाव्रत का पालन, द्रव्य अहिंसा का पालन आपकी दृष्टि में है, लेकिन इससे भी गहरी अहिंसा का नाम भाव अहिंसा है। अधिक रुकेंगे तो राग की वृद्धि होगी और द्वेष भी खड़ा हो सकता है। अधिक रुकेंगे तो मुनिराज पंच दिखना प्रारंभ हो जाएंगे, इसका परिणाम यह होगा कि जैनत्व के प्रति आस्था कम हो जाएगी। इसलिए बहुत अच्छा है चातुर्मास के उपरांत, नियति की नियतता के अनुसार विहार करना ही होगा, यही भाव अहिंसा है।

आचार्यश्री ने कहा मुस्कुराहट इस बात की आना चाहिए कि चार माह एक से निकले। इतने दीर्घ समय में आपने छोटे-छोटे मुनिराजों और ब्रह्मचारियों की सेवा व वैयावृत्ति की, इसलिए समाज आशीर्वाद की पात्र है। अब हम यहां से विहार करेंगे, यह नियति की नियतता है। दिशाओं- दिशाओं से पक्षी आते हैं और समय पूरा होने पर चले जाते हैं। अब यहां हमारा भी समय पूरा हो चुका है। किंचित भी मन में विकल्प हो तो आप मुझे जरूर बताना। ये मुनिराज 24 घंटे क्षमा करते रहते हैं और क्षमा मांगते रहते हैं। आचार्यश्री ने कहा कि कुछ लोग पास आते हैं, कुछ लोग दूर रहते हैं, वे भले ही दूर रहे पर मर्यादा में रहना उनका धर्म था। यदि ऐसी मर्यादा में सारे त्यागी रहें तो देश में आनंद की धारा बह जाएगी।

शासन-प्रशासन, संपूर्ण दिगंबर जैन मंदिर ने जैसे मिलकर इस चातुर्मास को पूर्ण किया है, आगे भी तब तक करते रहना, जब तक हम स्वयं अनंत दृष्टि को प्राप्त न हो जाएं। अजैन समाज ने भी आनंद लूटा है। आपकी गाड़ियां उनके घर के सामने खड़ी रहती थीं, इतने माइक चलते थे, फिर भी किसी ने कुछ नहीं कहा। हर समाज का आदमी खुश था, इसलिए उनके घर भी मेरा आशीर्वाद भेजना।

 

भिलाई की ओर हुुआ मंगल विहार

विशुद्ध वर्षा योग समिति के अध्यक्ष प्रदीप पाटनी व महामंत्री राकेश बाकलीवाल ने बताया कि सोमवार दोपहर 2 बजे आचार्यश्री विशुद्ध सागर जी महाराज ससंघ ने भिलाई के दुर्ग की ओर मंगल विहार किया। भक्तजन संघ के साथ सन्मति नगर से मंगल विहार कर फाफडीह चौक, मौदहापारा, नहरपारा, स्टेशनरोड, अग्रसेन चौक, समता कॉलोनी, चौबे कॉलोनी, जीई रोड होते हुए टाटीबंध पहुंचे। सभी ने पूरे चार माह धर्मलाभ लिया और सोमवार को विहार में आचार्यश्री के ससंघ का भी आशीर्वाद प्राप्त किया। विशुद्ध वर्षायोग 2022 समिति सभी के पुण्य की अनुमोदना करती है। आचार्यश्री ससंघ रात्रि विश्राम मोहन मैरिज पैलेस टाटीबंध में करेंगे। आठ नवंबर को आहार चर्या मंगलम चरोदा, भिलाई में होगी।

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