मुनि श्री ने यह भी कहा-
कर्म जैसा नचाते हैं, हम वैसे ही नाचते हैं
सफल न होने पर भगवान को दोष मत दो, स्वयं को दोषी मानो
ललितपुर. राजीव सिंघई । श्री अभिनन्दनोदय अतिशय तीर्थ में निर्यापक श्रमण मुनिपुंगव सुधासागर महाराज ने सतोदय तीर्थ क्षेत्र सेरोनजी से आए सैकड़ों बच्चों एवं श्रद्धालुओं को संबोधित करतेे हुए कहा है कि
आज मनुष्य की जिन्दगी समस्याओं में उलझी हुई है। सुबह उठता है तो चिन्ता के साथ, सुबह से शाम जिन्दगी इस चिन्ता में निकलती है कि कहीं कोई अनहोनी न हो जाये, सोते समय टेंशन कि रात कैसी निकलेगी, हम सुबह का उगता हुआ सूरज देख पायेंगे कि नहीं। खुशी- खुशी सोता है और रोते- रोते उठता है। यह मात्र हम और आपकी कहानी नहीं, बडे़- बडे़ महापुरुषों की भी यही कहानी थी।
मुनि श्री ने अपनी बात में उदाहरण देते हुए कहा कि शाम खुशी से बीत रही थी। अयोध्या झूम रही थी। कण- कण पुलकित हो रहा था, बडे़ -बडे़ ज्योतिषाचार्य भी वहां पर थे। दशरथ जैसे पिता, वशिष्ठ जैसे गुरु, वे भी घोषणा नहीं कर पाये। दशरथ ने कहा, गुरु वशिष्ठ आप ही तो कह रहे थे ऐसा शुभ मूर्हुत पिछले सौ वर्षों में नहीं आया, राम को राजगद्दी का सबसे अच्छा मूर्हुत है। वशिष्ठ बोले मैंने तो कागज वांचा था, किस्मत नहीं वांची थी। कागज में राजयोग का शुभ मूहुर्त था।
सुधासागर महाराज ने कहा कि बहुत कठिन है इस दुनिया में जीना। दूसरे पल क्या हो जाये, हम कह नहीं सकते। हम सभी कर्मों की कठपुतलियां हैं। कर्म जैसा नचाते हैं, हम वैसे ही नाचते हैं। कर्मों से हमें भगवान भी नहीं बचा सकते।
मुनिश्री ने कहा कि अमीर आदमी को देखते हैं तो लगता है कि इसके कितने ठाठ हैं। किसी गरीब को देखते हैं तो लगता है कि इस संसार पेट की आग बुझाना भी मुश्किल है। संसार में हंसने के दिन कम और रोने के दिन ज्यादा हैं। अमीर को चिंता है कि कहीं हमारा सुख चला ना
जाये, परिवार मिला है, कहीं मिट ना जावे। धर्म कमाने से ज्यादा सुरक्षा की चिंता, गरीब नहीं अमीरों को ज्यादा दुखी देखा। धन वैभव की सुरक्षा में नींद हराम हो जाती है। अमेरिका अमीर देश है, पर सबसे ज्यादा नींद की गोलियां वहीं पर बिकती हैं। दुनिया में अमीरी का आकर्षण है, पर इसके पीछे की कहानी बहुत दुखद है। चाहे अमीर हो या गरीब, हर व्यक्ति कहीं न कहीं दुखी है। कहा भी है-
धन बिना निर्धन दुखी, तृष्णा वश धनवान
कहूं न सुख, संसार में सब जग देख्यो छान
आज सतोदय तीर्थक्षेत्र सेरोन जी के पदाधिकारियों एवं वहां से आये सैकड़ो छात्रों ने मुनि श्री को श्रीफल देकर सीरोन जी पदार्पण करने का अनुरोध किया। क्षुल्लक गम्भीर सागर ने सभी छात्रों को प्रोत्साहन एवं आशीर्वाद दिया। मुनिश्री ने छात्रों से कहा कि जीवन में आगे बढ़ने में धर्म और जाति वाधक नहीं बनती है। हम असफल इसलिए होते हैं क्योंकि हम पूरी ईमानदारी से मेहनत नहीं करते। सफल न होने पर भगवान को दोष मत दो। आपने आप को दोषी मानो। संचालन डा.
अक्षय टडैया ने किया।
अभिनन्दनोदय तीर्थ में मुनि श्री के मुखारविन्द से शान्तिधारा करने का सौभाग्य तरुण रजनी काला व्यावर मुम्बई, चन्द्राबाई संदीप सराफ अलंकार ज्वेलर्स के अलावा स्थानीय श्रावक श्रेष्ठियों के परिवार को मिला।
शनिवार को निर्यापक मुनि श्री सुधासागर महाराज को आहार एवं पडगाहन प्रकाश मयूर परिवार, मुनि पूज्यसागर महाराज केा आहार एवं पडगाहन निर्मल कुम्हैडी एड. परिवार, ऐलक धैर्यसागर को आहार एवं पडगाहन मनोज विनय जड़ीबूटी परिवार एवं क्षुल्लक गम्भीर सागर महाराज को आहारदान एवं पडगाहन महेन्द्र विवेक मडवैया परिवार को मिला।