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वर्णी संस्थान विकास सभा का राष्ट्रीय अधिवेशन सम्पन्नc

Jaipur.Dr. Mahendra Jain। चतुर्थ पट्टाधीश आचार्य श्री सुनीलसागर के ससंघ के सान्निध्य में भट्टारक जी की नसियां, जयपुर में ‘वर्णी संस्थान विकास सभा’ का राष्ट्रीय अधिवेशन सम्पन्न हुआ। इसमें डॉ. शीतलचंद जैन, डॉ. सनत कुमार जैन, डॉ. महेन्द्रकुमार जैन ‘मनुज’, डॉ. विमल जैन, डॉ. अखिल बंसल सहित कई विद्वान उपस्थित रहे। अधिवेशन से पूर्व वर्णी संस्थान विकास सभा का विधिवत गठन हुआ और विधिवत कार्यकारिणी घोषित की गई। इसमें परम संरक्षक सुरेश चंद जैन आईएएस नैनागिरि, डॉ. भागचंद ‘भास्कर’, श्रीजीवंधर शास्त्री जबलपुर को मनोनीत किया गया।

राजकुमार शास्त्री सागर, प्रतिष्ठाचार्य ऋषभ शास्त्री राजिम, शीतलचंद शास्त्री मानकी, अशोक शास्त्री रजपुरा को परामर्श मंडल में मनोनीत किया गया। अध्यक्ष पद पर डॉ. पंडित हरिशचंद जैन साहित्याचार्य पूर्व प्राचार्य श्री गोपालदास दिगंबर जैन संस्कृत महाविद्यालय मुरैना को, महामंत्री पद पर त्रिलोकचंद्र शास्त्री प्रबंधक त्रिलोक तीर्थ संस्थान बड़ागांव दिल्ली, कार्याध्यक्ष संजय जैन ढाना वरिष्ठ समाजसेवी को, मुख्य संयोजक पद पर चन्द्रेश शास्त्री, भारतीय डाक सेवा प्रवर अधीक्षक डाकघर ग्वालियर संभाग को, कोषाध्यक्ष पद पर राजेंद्र शास्त्री दलपतपुर को, प्रबंध संयोजक पद पर कमलेश जैन जेरा, उपाध्यक्ष पद पर दीपचंद जैन शास्त्री भोपाल, डॉ. अरविंद जैन शास्त्री सुनवाहा इंदौर, प्रकाश सागोनी, सुरेश केवलारी, विनोद बम्हौरी और मनोज जैन बेगमगंज को नियुक्त किया गया।

वहीं संयुक्तमंत्री पद भाई आनंदी लाल जैन, संगठन मंत्री पद पर राजेंद्र जैन नैनागिर बैतूल को नियुक्त किया गया। अन्य पदाधिकारी डॉ. संजय शास्त्री सागर, पं. अखिलेश जैन रामगढ़ा, संजय पावला मनोनीत किये गये। सभी पदाधिकारियों का शपथग्रहण समारोह भी संपन्न किया गया। कार्यक्रम के संयोजक चन्द्रेश शास्त्री ने बताया कि उक्त संस्था की स्थापना परम पूज्य 108 आचार्य आदिसागर अंकलीकर परंपरा के महान तपस्वी साधक आचार्य 108 सुनील सागर जी महाराज के आशीर्वाद से हुई है।

यह संस्था परम पूज्य आचार्य श्री के मंगल आशीर्वाद से देश के समस्त वर्णी संस्थानों के लिए कार्य करेगी तथा वर्णी जी के संस्कृति संवर्धन कार्य को आगे बढ़ाएगी। इस संस्था के किसी भी निर्णय में परम पूज्य आचार्यश्री सुनीलसागर जी का ही निर्देशन सर्वमान्य होगा। ज्ञातव्य है कि इस अवसर पर वर्ष 2022 के प्रतिष्ठित पांचों अंकलीकर पुरस्कार गणेशवर्णी दिगम्बर संस्कृत विद्यालय वर्णीभवन मोराजी और इस विद्यालय में सेवारत रहे प्राध्यापकों को प्रदान किये गये।

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