झिलमिल जैन | जीवन में प्रभु भक्ति ही जीवन जीने का एक मात्र आधार है लेकिन हम सुख के समय अपने ही आराध्य प्रभु को भूल जाते हैं। शायद इसलिए दुखी हैं। अगर आज भी जितना समय हम दूसरों की बातो में और व्यर्थ के कार्य में लगाते हैं, उतना समय जिनेन्द्र भगवान की भक्ति में लगा दें तो हमारा जीवन सुखी हो सकता है लेकिन आज के समय में लोगों को भक्ति उस वक्त ही याद आती है, जब उन पर दुखा आता है। ऐसे में यह कहावत सटीक बैठती है…
दुख में सुमिरन सब करे
सुख में करे ना कोए
ओर सुख में सुमिरन जो करे
तो दुख काय को होए
हे भव्य, तो हम सभी को जिनेन्द्र भक्ति करने चाहिए। जिससे हमारे कर्मों की निर्जरा हो सके, जीवन सुखद हो सके। गुरु कहते हैं कि जिनेन्द्र भगवान की भक्ति की भावना करने से हजारों उपवास का फल मिलता है और मन्दिर में जाकर भक्ति करने से करोड़ों उपवास का फल मिलता है। देखो, भक्ति करने का कितना बड़ा लाभ है। बिना खाना छोड़े ही कितने उपवास का फल मिल गया। इसलिए अपने अंदर प्रभु की भक्ति जगाओ। अपने बच्चो में जिनेन्द्र प्रभु के प्रति आस्था जगाओ, भक्ति के संस्कार डालो। भक्ति एक ऐसी औषधि है, जो मन के सारे रोग समूल नष्ट कर देती है। तो आइए हम अपने सारे रोगों को मिटाएं और भक्ति से लगन लगाएं।