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धर्म भी योग्यता, पात्रतानुसारः आचार्य श्री सुन्दर सागर जी

न्यूज़ सौजन्य- कुणाल जैन

प्रतापगढ़। आचार्य सुन्दर सागर जी महाराज ने भक्तजनों और श्रद्धालुओं को सम्बोधित करते हुए कहा है कि भगवान महीवार के पावन-पवित्र शासन में हम सब जीवनयापन कर रहे हैं। बगवान महावीर ने पथ दिखाया था, हम सब अपनी सुविधानुसार उस पथ को अपने हिसाब से मोड़-तोड़ दिया। विचार करिए, भगवान महावीर ने णमोकार दिया। इसे आपने समुदायों में बांट दिया। आचार्य कुन्दकुन्द देव कहते हैं कि धर्म भी योग्यता, पात्रतानुसार होता है। अपनी योग्यता, पात्रता बढाइए। यदि पात्रता है, तभी जिनवाणी का श्रवण करिए। कहीं जिनवाणी श्रवण करने से बंध न हो जाए।


आचार्य सुन्दर सागर जी महाराज ने भक्तजनों को अपने संबोधन में आगे कहा कि मुमुक्षु वह होता हैस जो हर क्षण आत्मा में रमण करने का भाव रखता है। मोक्ष में जाने की प्यास रखने वाला मुमुक्षु है। जो अरिहंत है, वह पथ हमारा है।

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