आज का विचार
जिसे बुरा भी बूरा सा (शक्कर का) लगे, वह साधु
न्यूज सौजन्य- राजेश जैन दद्दू
इंदौर। श्रुत संवेगी मुनि श्री आदित्य सागर जी महाराज ने समोसरण मंदिर, कंचन बाग में शनिवार को प्रवचन देते हुए कहा कि आपके भाव स्वर्ग का सुख ही नहीं, मोक्ष का भी सुख दे सकते हैं। जैसा भाव वैसा भव, अर्थात जैसी आप के भावों की गति होगी वैसी ही आप के भव की गति होगी। अतः शुभ भावों को जागृत करें और अनुपयोगी भाव और अनुपयोगी वस्तुओं का त्याग करें।
आदित्य सागर जी ने आपने साधु के भावों की चर्चा करते हुए कहा कि साधु के भाव समता मूलक, निष्परिग्रह (लेश मात्र परिग्रह नहीं), निशंग (शल्य रहित) और निरग्रंथ (ग्रंथिरहित) होते हैं। जिसे बुरा भी बूरा सा (शक्कर का) लगे, वह साधु है। साधु में साधुता देखना चाहते हैं तो पहले अपने स्वभाव में साधुता लाएं, साधु भावों की प्राप्ति के लिए अपने अशुभ भावों को कृष करें। असाधु भाव छोड़ना, साधु भाव जोड़ना आपका मोक्ष मार्ग प्रशस्त होने में सहायक होगा।
स्थिति और कर्म बड़ा रोड़ाः सहज सागर
मुनि श्री सहज सागर जी ने भी धर्मसभा में प्रवचन देते हुए कहा कि हमारे भाव तो संस्कारों को इकट्ठे करने के होते हैं लेकिन स्थिति और कर्म के वश के कारण हम उसमें स्थिर नहीं हो पाते। इस अवसर पर वार्ड नंबर 55 से हाल ही में पार्षद निर्वाचित श्रीमती पंखुड़ी दोषी और वार्ड नंबर 50 से निर्वाचित श्री राजीव जैन के पार्षद निर्वाचित होने पर दिगंबर जैन समाज के अध्यक्ष श्री राजकुमार पाटोदी, सुशील पांड्या, अरुण सेठी, आजाद जैन हंसमुख गांधी और श्रीमती ममता एवं आशा खासगीवाला ने पार्षद द्वय का मोतियों की माला, शाल और श्रीफल से सम्मान किया इस अवसर पर पंडित रतन लाल जी शास्त्री अशोक खासगी वाला डॉक्टर जैनेंद्र जैन कैलाश वेद आदि उपस्थित थे।