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दिगंबर संत मिलना परम सौभाग्य हैः आचार्य श्री सुंदरसागर जी

आज का विचार

राम सिर्फ इसलिए वनवास गए क्योंकि रावण ने मर्यादा तोड़ी थी। अगर उस समय राम, रावण के कार्य का विरोध नहीं करते तो आगे भी मर्यादा टूटती रहती। इसलिए राम को मर्यादा पुरुषोत्तम कहा जाता है।

न्यूज सौजन्य- कुणाल जैन 

प्रतापगढ़, 22 जुलाई। आचार्य श्री सुंदरसागर जी ने कहा है कि पूरे विश्व में आत्मा की चर्चा करने वाला शासन अगर कोई है तो वह है जिनाशासन। आपने कहीं भव में भवो भवो में पुरुषार्थ किया होगा, तभी आपको यह शासन मिला है। इस संसार में जहां राग द्वेष है, ऐसे में अगर दिगंबर संत मिल जाएं तो तपती जेठ की गर्मी में एक बूंद ठंडा पानी मिल जाना जैसी अनुभूति मिलती है। दिगंबर संत किसी भी चीज की लालसा नहीं रखते हैं। वह तो सिर्फ आपकी भक्ति से प्रसन्नचित्त होते हैं।

उन्होंने आगे कहा कि भव्यात्मओं! हमारे जिन शासन में लड़ाई नाम की नहीं है, काम की लड़ाई है। जिनके मन में, विचार में, क्रोध -मान -माया -लोभ, विषय, कषाय बेठी हैं उसे नमस्कार नहीं है। जिसके मन में, में बैठा है वही आगे जाके तू तू तू करवाएगा। दिगंबर जैन शासन की किसी भी सम्प्रदाय से लड़ाई नाम की नहीं है, काम की लड़ाई हो सकती है। जैसे मुस्लिम, सिख, ईसाई किसी भी समुदाय से लड़ाई नाम की नहीं, उन संप्रदाय में जो अहिॆसामयी कार्य होते हैॆ उसकी लड़ाई हो सकती है यानी कार्य की लड़ाई हो सकती है। जैन शासन उसी समुदाय को मानता है, जिस समुदाय में विषयवासना, कामवासना,रागद्वेष, परिवारवाद, अस्त्र शस्त्र,हिंसा आदि नहीं हो। यह सब नहीं होंगे तो ही जैन शासन उस धर्म को मानेगा।

जिस भी सम्प्रदाय की शरण में जाना है उसकी परीक्षा भी करनी चाहिए, करनी होगी। जिसने क्रोध -मान -माया -लोभ, विषय वासना को हटाकर सम्यक दर्शन, चरित्र ,अहिंसा मार्ग अपनाया हो ऐसे संप्रदाय को हमारा नमन है।

आचार्य श्री सुंदरसागर जी ने कहा कि भव्यआत्माओं! राम सिर्फ इसलिए वनवास गए क्योंकि रावण ने मर्यादा तोड़ी थी। अगर उस समय राम, रावण के कार्य का विरोध नहीं करते तो आगे भी मर्यादा टूटती रहती। इसलिए राम को मर्यादा पुरुषोत्तम कहा जाता है। जैन धर्म ऐसे ही मर्यादा पुरुषोत्तम राम को मानते हैं। जो राजा हे परन्तु काम वासना में है, जो विषय वासनाओं में उलझे हैं, अपनी जिह्वा के स्वाद के लिए किसी जीव की हिंसा करते हैं, ऐसे किसी भी सम्प्रदाय को नहीं मानना चाहिए। सिर्फ मर्यादा पुरुषोत्तम राम को जैन समाज नमन करता है। जैन धर्म के अनुसार राम ने पांच महाव्रत और तीन गुप्तियों का पालन किया था। ऐसे राम मांगीतुंगी से दिगंबर मुनि दीक्षा लेकर मोक्ष पधारे, ऐसे राम को जैन समाज पूजता है। आप भी विषयवासना से ऊपर उठ कर अपने स्वयं के कल्याण में रमें, ऐसा मंगल आशीर्वाद।

 

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