न्यूज सौजन्य- अंकित जैन
गाजियाबाद। धर्मनगरी गाजियाबाद में बुधवार 13 जुलाई को परमपूज्य जिनागम पंथ प्रवर्तक भावलिंगी संत आचार्यश्री 108 श्री विमर्शसागर जी महामुनिराज के जिनागम पंथ प्रभावना चातुर्मास की मंगलकलश की स्थापना हुई। प्रथम कलश के स्थापित करने का सौभाग्य गाजियाबाद के श्रावकश्रेष्ठी श्री जम्बु प्रसाद जैन और अशोक जैन सीए परिवार को प्राप्त हुआ।
स्थानीय जैन समाज के साथ सम्पूर्ण भारतवर्ष से पधारे पांच शतक गुरुभक्तों ने गुरुचरणों में बैठकर गुरु आराधना करते हुए गुरु पूर्णिमा पर्व को मनाया। और साक्षात रूप में गुरुदेव के वरदहस्त से शुभाशीष प्राप्त किया। आचार्यश्री 108 श्री विमर्शसागर जी महाराज ने कहा कि गुरु तो स्वयं ही पूर्ण होते हैं, पर जब शिष्य गुरु को पाप्त कर लेता है तो वह शिष्य पूर्णता को प्राप्त हो जाता है और वही शिष्य के जीवन में गुरुपूर्णिमा पर्व बन जाता है। हम सौभाग्यशाली हैं जो इस पंचमकाल में भी भगवान महावीर के शासन के योग्य हैं। आज संकल्प लेकर जाना कि जिनशासन को कभी झुकने नहीं देंगे। जिनशासन की जितनी चिन्ता एक श्रमक को है, उतनी ही चिन्ता एक श्रावक को भी होनी चाहिए।