समाचार

81 वर्षीय आर्यिका माताजी संयम नियम सल्लेखना की ओर अग्रसर : श्री वर्धमान सागर जी समक्ष पारसोला में सभी साधुओं से क्षमा याचना कर संस्तरारोहण किया


आचार्य शिरोमणी पंचम पट्टाधीश आचार्य श्री वर्धमान सागर जी से दीक्षित 81 वर्षीय आर्यिका श्री ज्योतिमति जी ने दिनांक 9 नवंबर 2024 को वात्सल्य वारिघि पंचम पट्टाधीश आचार्य श्री वर्धमान सागर जी समक्ष पारसोला में आचार्य श्री सहित सभी साधुओं से क्षमा याचना कर संस्तरारोहण किया। पढ़िए एक रिपोर्ट…


पारसोला। आचार्य शिरोमणी पंचम पट्टाधीश आचार्य श्री वर्धमान सागर जी से दीक्षित 81 वर्षीय आर्यिका श्री ज्योतिमति जी ने दिनांक 9 नवंबर 2024 को वात्सल्य वारिघि पंचम पट्टाधीश आचार्य श्री वर्धमान सागर जी समक्ष पारसोला में आचार्य श्री सहित सभी साधुओं से क्षमा याचना कर संस्तरारोहण किया। क्षपक साधु जिस स्थान पर बैठते, लेटते हैं उसे संस्तर कहते हैं और उस पर बैठना, उठना आरोहण कहलाता है इस प्रकार संस्तरारोहण किया जाता है।

माताजी ने दीक्षा 17 नवंबर 2007 को श्री श्रवणबेलगोला में ग्रहण की

ब्रह्मचारी गजु भैया एवं राजेश पंचोलिया अनुसार श्रीमती नाथी बाई पति मांगीलाल जी जैन मालपुरा राजस्थान के यहां सन 1943 को श्रीमती मनोरमा बाई का जन्म हुआ। उनके पति का नाम श्री चिरंजी लाल जी जैन था। उन्होंने दो प्रतिमा के व्रत आचार्य श्री वर्धमान सागर जी से ग्रहण किए। 7 प्रतिमा के नियम 17 मार्च 2007 को श्रवण बेलगोला में आचार्य श्री वर्धमान सागर जी से ग्रहण किए। आचार्य श्री से आर्यिका दीक्षा 17 नवंबर 2007 को श्री श्रवणबेलगोला में ग्रहण की। निर्यापकाचार्य श्री वर्धमान सागर जी सहित सभी मुनिराज, सभी आर्यिका माताजी से परिजनों, समाज से क्षमा याचना एवं सभी के प्रति क्षमा भाव धारण कर 9 नवंबर शनिवार को संस्तरारोहण किया। इस अवसर पर समस्त संघ ने अनुमोदना की। आपकी संयम साधना अंतर्गत क्रमशः आहार सामग्री का त्याग किया जा रहा है।

आप को यह कंटेंट कैसा लगा अपनी प्रतिक्रिया जरूर दे।
+1
0
+1
0
+1
0

About the author

Shreephal Jain News

Add Comment

Click here to post a comment

You cannot copy content of this page

× श्रीफल ग्रुप से जुड़ने के लिए यहाँ क्लिक करें