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जगद्गुरु स्वस्ति श्री चारुकीर्ति भट्टारक महा स्वामी जी का 55वां दीक्षा दिवस : एक जीवन जो समाज को नई दिशा दे गया


जगद्गुरु कर्मयोगी स्वस्ति श्री चारुकीर्ति भट्टारक महा स्वामी जी का जीवन न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से, बल्कि समाज में सकारात्मक परिवर्तन लाने की उनकी अद्वितीय सोच से भी प्रेरणादायक है। उन्होंने न केवल अपने अनुयायियों को धर्म की राह दिखाई, बल्कि समाज के लिए एक ऐसा आदर्श प्रस्तुत किया, जिसे हमेशा याद किया जाएगा। स्वामी जी का जीवन हमेशा से प्रेरणा का स्रोत रहा है। उन्होंने हमेशा धर्म, समाज और मानवता के उच्च आदर्शों को स्थापित करने का कार्य किया। उनका जीवन सत्य, अहिंसा, और प्रेम के सिद्धांतों से प्रेरित था। उनका विश्वास था कि प्रत्येक व्यक्ति को अपने कर्तव्यों का पालन करते हुए समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारियों को समझना चाहिए। उनके 55वें दीक्षा दिवस पर जानते हैं उनके बारे में…


जगद्गुरु  कर्मयोगी स्वस्ति श्री चारुकीर्ति भट्टारक महा स्वामी जी, जिनके नाम से हर कोई उन्हें जानता है, आज उनका 55वां दीक्षा दिवस है। वह आज हमारे बीच में नहीं हैं, लेकिन उनकी यादें और उनके द्वारा दिया गया मार्गदर्शन हमारे बीच हमेशा जीवित हैं। स्वामी जी ने समाज को जो दिशा दी, वह आज भी हमारे जीवन में प्रासंगिक है। उनके द्वारा किए गए कार्य और उनके सिद्धांत आज भी हमारे बीच हैं और हमें प्रेरित करते हैं। आज हम उनके बारे में कुछ महत्वपूर्ण बातें जानेंगे, जो हमें यह एहसास दिलाएंगी कि उन्होंने अपने जीवन में धर्म और समाज के लिए जो कार्य किए, वे हम सभी के लिए अत्यंत उपकारी हैं। ऐसे उपकारी महापुरुष को याद करना और उनके योगदान को समझना हमारा कर्तव्य है।.

आइए, आज हम उनके जीवन और कार्यों पर एक नजर डालते हैं।

-1 मई 1949 को वारंग (कर्नाटक) में जन्म

 

-12 दिसंबर 1979 को दीक्षा हुई

 

-19 अप्रैल 1970 को पट्टाभिषेक हुआ

 

-वर्तमान में स्वामी जी के 10 शिष्य भट्टारक है

 

-1988 में इंग्लैंड में 7 फीट ऊंची भगवान बाहुबली की प्रतिमा स्थापित करवाई

 

-धवला आदि 40 महाग्रंथों का कन्नड़ अनुवाद करवाया

 

-1997 से गाड़ी उपयोग नहीं की

 

-2001 से फोन का उपयोग नहीं किया

 

-श्रवणबेलगोला में 1981, 1993, 2006, 2018 में महामस्तकाभिषेक करवाए

 

-भट्टारक परम्परा को पुनः जीवंत किया

 

-1981 में प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने कर्मयोगी की उपाधि दी थी

 

-2017 में कर्नाटक सरकार ने स्वामी जी को महावीर शांति पुरस्कार दिया

 

-बाहुबली पॉलिटेक्निक कॉलेज, बाहुबली इंजीनियरिंग कॉलेज, अंबिका प्री प्राइमरी एवं प्राइमरी हाई स्कूल, अंबिका इंग्लिश मीडियम स्कूल सहित अनेक शिक्षा संस्थाएं स्थापित की

 

-बाहुबली शिशु अस्पताल की स्थापना 2006 में हुई

 

-जन मंगल कलश का पुरे भारत में भ्रमण 1981 में करवाया

 

-100 बेड के अस्पताल का शुभारंभ 2018 में करवाया था

 

-त्यागियों के प्रति, विद्वानों व मां जिनवाणी के प्रति अटूट श्रद्धा, विश्वास, आस्था और समर्पण था

 

-कभी भी वह किसी विवाद में नहीं रहे।

 

-उन्होंने हमेशा जब दूसरों को मार्गदर्शन दिया तो उनके मार्गदर्शन में जैन संस्कार, संस्कृति, इतिहास को सुरक्षित रखने की बात कही गई।

 

-आज वो हमारे बीच में नहीं है लेकिन उनकी यादें उनकी स्मृतियां हमारे बीच में है।

 

-श्रवणबेलगोला के 40 मंदिरों का और आस पास के कई मंदिरों का जीर्णोद्धार जो उन्होंने करवाया है वह सब देखने लायक है

 

– गुरुकुल की स्थापना भी की

 

स्वामी जी के शिष्य

 

-परम पूज्य कारकल मठ के स्वस्तिश्री ललितकीर्ति भट्टारक स्वामी

-परम पूज्य कनकगिरी जैन मठ के स्वस्तिश्री भुवनकीर्ति भट्टारक स्वामी

-कम्ब्दहल्ली जैन मठ के परम पूज्य स्वस्तिश्री भानुकीर्ति भट्टारक स्वामी

-अर्हतगिरि जैन मठ के परम पूज्य स्वस्तिश्री धवलकीर्ति भट्टारक स्वामी

– मूडबद्री जैन मठ के वर्तमान परम पूज्य स्वस्तिश्री चारुकीर्ति भट्टारक स्वामी

-हुमचा पद्मावती जैन मठ के परम पूज्य स्वस्तिश्री देवेन्द्रकीर्ति भट्टारक (धर्मकीर्ति) स्वामी

-नरसिंहराजपुर (ज्वालामालिणी) मठ के परम पूज्य लक्ष्मीसेन भट्टारक स्वामी जी

– सौन्दा मठ के परम पूज्य स्वस्तिश्री भट्टाकलंक भट्टारक स्वामी जी

-अरतिपुर के स्वस्ति श्री सिद्धांतकीर्ति भट्टारक स्वामी जी

-श्रवणबेलगोला मठ के अभिनव स्वस्तिश्री चारुकीर्ति भट्टारक स्वामी

 

स्वामी जी के नेतृत्व में अनेक स्कूल व विभिन्न कॉलेजों की स्थापना हुई, इनमें से प्रमुख हैं…

 

-अंबिका प्री प्राइमरी एवं प्राइमरी हाई स्कूल, स्थापना 1982 में

 

-अंबिका इंग्लिश मीडियम स्कूल, स्थापना वर्ष 2001 में

 

-अम्बिका पूर्व माध्यमिक स्कूल

 

-श्रीमती श्रीयालम्मा नेमीराजय्या हाईस्कूल, स्थापना 1990 में

 

-श्रेयालम्मा नेमीराजय्या प्री यूनिवर्सिटी कॉलेज, स्थापना जुलाई, 1995 में

 

-श्री बाहुबली पॉलिटेक्नीक कॉलेज

 

-श्री बाहुबली इंजीनियरिंग कॉलेज, स्थापना 1997 में

 

-बाहुबली स्कूल ऑफ नर्सिंग, स्थापना वर्ष 2001 में

 

– लौकिक शिक्षा के साथ जैन धर्म, प्राकृत भाषा आदि का ज्ञान कराने के लिए श्रुतकेवली एज्युकेशन ट्रस्ट की स्थापना, इसके अंतर्गत गोम्मटेश्वरम् विद्यापीठ ब्रह्मचर्य आश्रम खोला गया।

-नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ प्राकृत एवं रिसर्च सेंटर

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