मुनि श्री अप्रमितसागरजी महाराज का बुधवार को अवतरण दिवस है। इस अवसर पर मुनि भक्त उनका गुणानुवाद कर रहे हैं। मुनिश्री का जन्म मप्र के डबरा नगर में हुआ। 8 नवंबर को अतिशय क्षेत्र मंगलगिरी सागर में मुनि दीक्षा ग्रहण की थी। इंदौर से पढ़िए अभिषेक पाटील की यह खबर…
इंदौर। मुनिश्री आदित्यसागर जी महाराज, मुनिश्री अप्रमितसागर जी महाराज, मुनिश्री सहजसागर जी महाराज एवं क्षुल्लक श्री श्रेयससागर जी महाराज सुमतिधाम में विराजमान है। मुनित्रय की चरण धूलि से पावन हो रही है। मुनिश्री अप्रमितसागरजी महाराज का बुधवार अवतरण दिवस है। मध्यप्रदेश के डबरा नगर में श्रावकों में अग्रणी सुरेशचंद के यहां 12 मार्च 1984 को एक बालक ने जन्म लिया। इस बालक का नाम रोहित रखा गया। आपकी माता का नाम प्रभाजी है। आपके एक बडे़ भाई एवं दो बहनें हैं। आप परवार जाति के गौरव हैं। आपके माता-पिता अत्यंत धार्मिक प्रवत्ति के होने के कारण आप पर उनके द्वारा प्रदत्त संस्कारों का पूरा प्रभाव पड़ा। वर्ष 2011 में आचार्य श्री विशुद्धसागर जी महाराज का मंगलमय वर्षायोग(चातुर्मास)मोराजी सागर (मप्र) में हुआ।
अतिशय क्षेत्र मंगलगिरी में ली मुनि दीक्षा
चातुर्मास के अंत में 8 नवंबर को अतिशय क्षेत्र मंगलगिरी सागर में आचार्य श्री ने बड़ी संख्या में जनसमूह के सक्षम आपको मुनि दीक्षा प्रदान कर उपकृत किया। उस वक्त निश्चयपूर्वक अपने वस्त्रों और सर्वस्व त्याग किया। मुनिश्री अप्रमितसागर बन गए। आप निरंतर स्वाध्याय में रुचि रखते हुए धार्मिक ग्रंथों का अध्ययन करते रहते हैं। आप काव्यकला के श्रेष्ठ शिल्पी हैं एवं आपको ‘ब्राह्मी-लिपि’ का विशिष्ट ज्ञान है। आपने 1008 दिन तक मौन साधना कर शास्त्रों की गाथाओं को कंठस्थ किया। धन्य है आपका साहस, जो इस पंचम काल में धीर पुरुषों के चित्त को भी दोलायमान करने वाली महाव्रत की कठिन चर्या को अंगीकार करने के भाव हुए। आपकी सौम्य छवि साक्षात वीतरागता का प्रतीक है। आप अच्छे वक्ता भी हैं एवं अपना अधिक समय धर्म ध्यान और अध्ययन में देते हैं।
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