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300 किमी का पैदल विहार कर आर्यिका पूर्णमति माताजी ने किया शहर में मंगल प्रवेश समग्र जैन समाज ने की अगवानी

  • माताजी के स्वागत में सड़कों पर रांगोली भी सजाई गई जुलूस में यातायात बाधित न हो इसके लिए 150 से अधिक युवाओं ने यातायात व्यवस्था संभाली
  • आर्यिका पूर्णमति माताजी 8 आर्यिकाओं के साथ 120 दिन इंदौर में प्रवचनों की अमृत वर्षा करेंगी

इंदौर। आचार्य विद्यासागर महाराज की शिष्या आर्यिका पूर्णमति माताजी ने आठ आर्यिकाओं के साथ रविवार को सत्यसाईं विद्या विहार से शहर में मंगल प्रवेश किया। इस मौके पर दिगंबर समाज द्वारा भव्य जुलूस निकाला गया। महिलाओं ने भजनों की प्रस्तुति दी। जैन समाज बंधुओं ने माताजी का स्वागत किया। आर्यिका पूर्णमति माताजी 29 साल बाद इंदौर में चातुर्मास के लिए आई हैं। मंगल जुलूस में बड़ी संख्या में समाजजन शामिल हुए।
दिंगबर जैन समाज व दयोदय चेरिटेबल फाउंडेशन ट्रस्ट के पदाधिकारियों ने बताया मंगल जुलूस सत्यसाईं चौराहे से प्रारंभ होकर एलआईजी चौराहा, पलासिया चौराहा होते हुए कंचनबाग समवशरण जैन मंदिर पहुंचा। माताजी के स्वागत में सड़कों पर रंगोली भी सजाई गई। माताजी ने ससंघ विहार गंजबासौदा से शुरू किया था। करीब 300 किमी का पैदल विहार करते हुए सुबह वे इंदौर पहुंचीं। जुलूस में समाज की महिलाएं 108 कलश और पुरुष 108 धर्म ध्वज लिए नजर आए।

35 से अधिक महिला मंडल ने दी भजनों की प्रस्तुति

जुलूस में दिगंबर जैन समाज के अलग-अलग संगठनों से जुड़े 35 से अधिक महिला मंडल द्वारा भजनों की भी प्रस्तुतियां दी गई। जुलूस के अग्र भाग में जहां महिलाएं सिर पर कलश धारण कर शामिल हुईं, वहीं मध्य भाग में महिलाएं भजनों की भी प्रस्तुतियां दे रही थीं। महिलाएं धर्म ध्वजा हाथों में थामे गुरुवर की अगवानी में जय-जयकार लगाते हुए चल रही थीं। जुलूस में यातायात बाधित न हो इसके लिए 150 से अधिक युवाओं ने यातायात व्यवस्था संभाली।

हमारे मन की मैल साफ कर आत्मा को शुद्ध बनाता है चातुर्मास

कंचनबाग स्थित समवशरण जैन मंदिर में आर्यिका पूर्णमति माता ने धर्मसभा को संबोधित करते हुए प्रवचन में कहा- चातुर्मास जैन शासन का अद्भुत पर्व है। इस दौरान प्रकृति अपने यौवन पर होती है। चारों ओर माहौल खुशनुमा और पवन शीतलता लिए होती है। चातुर्मास निर्मल गंगा के समान होता है, जो हमारे मन की मैल को साफ कर आत्मा को शुद्ध बनाता है। चातुर्मास सूर्य की रोशनी बनकर हमारे जीवन को प्रकाशित करता है।
उन्होंने कहा- जिस प्रकार एक सुंदर भवन की सफाई के लिए झाड़ू कारगर होती है, ठीक उसी प्रकार आत्मा पर चढ़े मैल की सफाई चातुर्मासिक झाड़ू करती है। यह झाड़ू हमारे जीवन का उद्धार करने का कार्य करती है। परमात्मा के निकट अपनी आत्मा को पहुंचाने के लिए कषायों, वासनाओं को हटाने के लिए एवं सद्गणों, संस्कारों को जानने के लिए चातुर्मास पर्व की आराधना की जाती है। जिस प्रकार हम किसी अल्पकालिक प्रवास के पूर्व तैयारी करते हैं तो यह चातुर्मास तो अनमोल पर्व है। इसकी तैयारी भी हमें विशिष्टता के साथ करना चाहिए। हमारी आत्मा को उज्ज्वल करने वाला चातुर्मासिक पर्व प्रदान करने के लिए परमात्मा के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित करना ही मुख्य होता है। आर्यिका पूर्णमति माताजी 8 आर्यिकाओं के साथ 120 दिन इंदौर में प्रवचनों की अमृत वर्षा करेंगी।

120 दिन बहेगी प्रवचनों की अमृत वर्षा
माताजी के लगभग 120 दिन लगातार इंदौर में अपने प्रवचनों की अमृत वर्षा करेंगी। प्रवचनों में श्री सकल दिगंबर जैन समाजजनों के साथ ही अन्य राज्यों व शहर के भक्त भी चातुर्मास में शामिल होकर धर्मसभा का लाभ लेंगे।

साभार- दैनिक भास्कर ,इंदौर

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तुष्टी जैन, उपसंपादक

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