सारांश
शिरपुर (जैन) में आचार्य श्री के चातुर्मास का निष्ठापन के बाद से ही पूरे देशभर की निगाहें इस ओर थीं कि गुरुदेव अब दक्षिण की ओर विहार करेंगे लेकिन गुरुदेव महाराष्ट्र से अब छत्तीसगढ़ आ रहे हैं। 26 जनवरी को महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़ की सीमा पर स्थित देवरी कस्बे में गणतंत्र दिवस यानी 26 जनवरी के दिन आचार्य संघ के सानिध्य में कार्यक्रम होगा। पढ़िए राजेश जैन दद्दू की विस्तृत रिपोर्ट…
इंदौर। गुरुदेव आचार्य श्री विद्यासागर महाराज के छत्तीसगढ़ सीमा में प्रवेश को अभी दो दिन शेष हैं लेकिन छत्तीसगढ़ सरकार ने आचार्य श्री को राज्य अतिथि का दर्जा 23 जनवरी से ही दे दिया है। छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव जिले में स्थित प्रसिद्ध जैन तीर्थ क्षेत्र चंद्रगिरी की कमेटी और वहां के लोग आचार्य श्री सत्कार की तैयारियों में जुटे हैं। शिरपुर (जैन) में आचार्य श्री के चातुर्मास का निष्ठापन हुआ तो पूरे देशभर की निगाहें इस ओर थीं कि गुरुदेव अब दक्षिण की ओर विहार करेंगे। वे सदलगा जाएंगे, श्रवणबेलगोला जाएंगे और दो-चार साल दक्षिण में रहेंगे। अब तो मध्य प्रदेश के लोगों को वहां जाकर के दर्शन करना होंगे।
लेकिन गुरुदेव ने जैसे ही सिरपुर से विहार किया, वैसे ही कारंजा की ओर किया वर्धा, नागपुर, भंडारा के लोगों में खुशी की लहर दौड़ गई। यह अलग बात है कि आचार्य श्री नागपुर शहर को छोड़कर बाईपास से सीधे निकल गए। हालांकि नागपुर के अनेक श्रद्धालुओं को अपने चौके में गुरुदेव के पडगाहन का अवसर मिला। धीरे-धीरे गुरुदेव ने 25 दिसंबर से 24 जनवरी तक एक माह में लगभग 385 किमी से अधिक का विहार कर लिया। अब 26 जनवरी को महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़ की सीमा पर स्थित देवरी कस्बे में गणतंत्र दिवस यानी 26 जनवरी के दिन आचार्य संघ के सानिध्य में कार्यक्रम होगा और वह कार्यक्रम इंडिया नहीं भारत बोलो विषय पर होगा। 26 जनवरी को ही दोपहर में जैसे ही गुरुदेव के कदम देवरी से निकलेंगे, छत्तीसगढ़ की सरकार अपने राज्य अतिथि के स्वागत सत्कार में पलक पांवडे़ बिछा कर खड़ी मिलेगी। देवरी से डोंगरगढ़ की दूरी लगभग 60 किमी की है यानी आचार्य श्री का 31 जनवरी को प्रवेश डोंगरगढ़ शहर में हो सकता है।
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