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2581वां वीर शासन जयंती वर्ष प्रारंभ हुआ : श्रावण कृष्ण प्रतिपदा को हुई थी भगवान महावीर स्वामी की पहली दिव्य देशना


महावीर वाणी जगत कल्याणी यह सिर्फ हमारा बनाया नारा भर नहीं है क्योंकि जब भी हमारी दृष्टि महावीर स्वामी के उपदेशों की ओर जाती है तो उनमें हमें सर्वोदय चिंतन दिखाई देता है। भगवान महावीर ने सत्य अहिंसा अस्तेय अपरिग्रह ब्रह्मचर्य अनेकांत क्षमा दया करुणा प्रेम भाईचारा परोपकार भावनाओं को जागृत करने वाले दिव्य उपदेश दिये हैं जो कि सिर्फ मानव ही नहीं प्राणी मात्र के कल्याण को करने वाले हैं। पढ़िए यह रिपोर्ट…


बदनावर। महावीर वाणी जगत कल्याणी यह सिर्फ हमारा बनाया नारा भर नहीं है क्योंकि जब भी हमारी दृष्टि महावीर स्वामी के उपदेशों की ओर जाती है तो उनमें हमें सर्वोदय चिंतन दिखाई देता है। भगवान महावीर ने सत्य अहिंसा अस्तेय अपरिग्रह ब्रह्मचर्य अनेकांत क्षमा दया करुणा प्रेम भाईचारा परोपकार भावनाओं को जागृत करने वाले दिव्य उपदेश दिये हैं जो कि सिर्फ मानव ही नहीं प्राणी मात्र के कल्याण को करने वाले हैं यही वजह है कि महावीर स्वामी जी का उपदेश सर्व जग के लिए कल्याणकारी है।

वर्द्धमानपुर शोध संस्थान के ओम पाटोदी ने बताया कि भगवान के दीक्षा के पश्चात जब केवल ज्ञान (पूर्ण ज्ञान) प्राप्त हुआ तब इंद्र द्वारा कुबेर इंद्र को कह कर समोशरण की रचना करवाई गई। भगवान के समोशरण में मानव जाति के साथ ही पशु पक्षीयों को बैठने की उचित व्यवस्था बनाई जाती है। यही इसकी विशेषता भी है कि यहां सभी प्राणी सम भाव से भगवान की देशना श्रवण करते हैं। इसमें हिंसक जीव भी अपनी हिंसात्मक प्रवृत्ति को भूल जाते हैं यही भगवान के तपोबल का प्रभाव होता है। भगवान की इस सर्व जीवों के लिए कल्याणकारी दिव्य ध्वनि के प्रारंभ होने के दिन को भगवान महावीर स्वामी का शासन प्रारंभ हुआ माना जाता है।

कल से भगवान महावीर स्वामी का 2581वां वीर शासन जयंती वर्ष प्रारंभ हो गया है। यह तो सर्वविदित है ही कि इस वर्ष हम लोग भगवान महावीर स्वामी के 2550 वे निर्वाण कल्याणक महोत्सव वर्ष मना रहे हैं। यह वर्ष भगवान महावीर की सर्व जन सुखाय सर्व जन हिताय करने वाली दिव्य देशना जन जन तक पहुंचे और लोग इसे अंगीकार करे तब ही इस महोत्सव को मनाने की सार्थकता होगी।

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