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सिहोनिया तीर्थ क्षेत्र में 142 जैन प्रतिमाओं की होगी प्राण प्रतिष्ठा: आचार्य वसुनंदी जी महाराज करवाएंगे 6 दिवसीय पंचकल्याणक महोत्सव 


सिहोनिया तीर्थ क्षेत्र में जैन आचार्य वसुनंदी जी महाराज के सानिध्य में पंचकल्याणक महोत्सव होगा। जिसमें 31 फीट ऊंची भगवान शांतिनाथ की प्रतिमा सहित 142 प्रतिमाओं की प्राण प्रतिष्ठा होगी। 31 फीट ऊंची भगवान शांतिनाथ की प्रतिमा के दर्शनार्थ देश भर से श्रद्धालु जुटेंगे। कार्यक्रम के दौरान हेलीकॉप्टर से पुष्पवर्षा होगी। कार्यक्रम को अंतिम रूप दिया जा रहा है। पढ़िए अंबाह से अजय जैन की यह रिपोर्ट…


अंबाह। जैन अतिशय तीर्थ क्षेत्र सिहोनिया जी में 6 दिवसीय पंच कल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव आयोजित होगा। इसमें भगवान शांतिनाथ की विशाल 31 फीट ऊंची प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा की जाएगी। महोत्सव 5 से 10 फरवरी तक आयोजित किया जाएगा। अतिशय क्षेत्र कमेटी के संरक्षक पूर्व नगर पालिका अध्यक्ष जिनेश जैन एवं आशीष जैन सोनू ने बताया कि जैन धर्म के 16वें तीर्थंकर भगवान शांतिनाथ का अतिशयकारी जिनालय वर्षाें से देशभर में श्रद्धालुओं की श्रद्धा का केंद्र बिंदु है। यहां विराजमान 11वीं शताब्दी की अतिशयकारी भगवान शांतिनाथ की दिव्य भव्य मनोहारी प्रतिमा के दर्शन मन को असीम शांति का अनुभव कराते हैं। जिनेश जैन बताया कि जैन आचार्य वसुनंदी जी महाराज के सानिध्य में यहां पंचकल्याणक महोत्सव होगा। जिसमें 31 फीट ऊंची भगवान शांतिनाथ की प्रतिमा सहित 142 प्रतिमाओं की प्राण प्रतिष्ठा की जाएगी।

कमल मंदिर का निर्माण हुआ पूर्ण

उल्लेखनीय है कि मुरैना जिला मुख्यालय से लगभग 35 किमी की दूरी पर सिहोनिया गांव में जैन धर्म के अनुयायियों का एक विशाल और भव्य जैन मंदिर बना हुआ है। जिसके मुख्य मंदिर जी में 11वीं शताब्दी की भगवान शांतिनाथ जी, भगवान कुंथनाथ जी, भगवान अरहनाथ जी की खड़गासन प्रतिमाएं विराजमान हैं। मुख्य मंदिर जी के साथ ही 6 अन्य मंदिरों में भी जैन तीर्थंकरों की प्रतिमाएं विराजमान हैं। इसके साथ ही भव्य एवं विशाल कमल मंदिर का निर्माण कार्य पूर्ण हो चुका है और पांच मान स्तंभों का कार्य प्रगति पर है।

कमल पर विराजित है 31 फीट की प्रतिमा

ऐसे रमणीक, पवित्र, पावन धर्म स्थल पर जैन धर्म के 16वें तीर्थंकर भगवान शांतिनाथ की 31 फीट ऊंची खड़गासन प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा पंचकल्याणक महोत्सव के दौरान होने जा रही है। मुख्य मंदिर के बाजू में विशाल भूखंड पर जिनेश कुमार महेंद्र कुमार जैन सर्राफ ने इस मूर्ति को स्थापित कराया है। यह भी बताया गया कि पांच फीट की ऊंचाई वाले चबूतरे पर चार फीट ऊंचाई का अति सुंदर कमल स्थापित हुआ है। इस कमल के पर यह 31 फीट की भव्य प्रतिमा विराजमान की गई है। अतिशय क्षेत्र सिहोनिया जी के परम संरक्षक, अंबाह जैन समाज के अध्यक्ष जिनेश जैन (पूर्व अध्यक्ष, नगर पालिका अम्बाह), महेंद्रकुमार जैन सर्राफ परिवार ने यह विशाल और भव्य जिन प्रतिमा को स्थापित कराने का संकल्प लिया था और अब अतिशीघ्र ही वे प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा कर अपने संकल्प को पूरा करने की ओर अग्रसर हैं।

पंच मान स्तंभ और प्रतिमाओं की होगी प्राण प्रतिष्ठा

बता दें कि पूज्य गुरुदेव अभीक्ष्ण ज्ञानोपयोगी आचार्य श्री वसुनंदी जी महाराज के ससंघ के पावन सानिध्य में श्री मज्जिनेंद्र पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव के तहत कमल मंदिर और पंच मान स्तंभ के साथ ही इस प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा की जाएगी।

तीनों प्रतिमाएं एक ही शिला पर

भव्य जैन मंदिर में 11वीं शताब्दी की जैन तीर्थंकर भगवान शांतिनाथ प्रभु की 16 फीट उतंग खड़गासन प्रतिमा एवं उनके आजू-बाजू में भगवान कुंथनाथ प्रभु और भगवान अरहनाथ प्रभु की प्रतिमाएं विराजमान हैं। इस तीर्थ की विशेषता यह है कि ये तीनों प्रतिमाएं एक ही शिला पर बनी हुई हैं। साथ ही यह मूर्तियां उसी स्थान पर विराजमान हैं। जहां से ये खुदाई में प्राप्त हुई थीं।

बड़ी संख्या में आएंगे जैन धर्मावलंबी

सिहोनिया जी कमेटी के संरक्षक आशीष जैन ‘सोनू’ ने बताया कि इस कार्यक्रम में संपूर्ण भारतवर्ष से बड़ी संख्या में जैन धर्मावलंबियों की आने की संभावना है। आने वाले सभी बंधुओं के आवास एवं भोजनादि की समुचित व्यवस्था की जा रही है। श्री अतिशय क्षेत्र सिहोनियां कमेटी, जैन युवा क्लब, सोनू मित्र मंडल ने सभी साधर्मी बंधुओं से कार्यक्रम में अधिकाधिक संख्या में शामिल होने की अपील की है।

युद्ध स्तर पर तैयारी शुरू

पंचकल्याणक महोत्सव की तैयारी जोर-शोर से चल रही है। पूजा पांडाल के साथ-साथ साधु-संतों और अतिथियों के ठहरने, भोजन की व्यवस्था की जा रही है। वहीं जैन संत वसुनंदी जी महाराज संसघ दिगंबर मुनिराजों का मंगल आगमन 3 फरवरी को सिहोनिया संभावित है। उसके बाद सबसे पहले मुनि संघ कार्यक्रम स्थल का जायजा लेकर तैयारियों की रूपरेखा देखेंगे।

पाषाण से भगवान बनाने की विधि है पंच कल्याणक

पंच कल्याणक महोत्सव के दौरान गर्भ कल्याणक, जन्म कल्याणक, दीक्षा कल्याणक, कैवल्य ज्ञान कल्याणक और मोक्ष कल्याणक मनाया जाएगा। जैन ग्रंथों के अनुसार यह वे पांच मुख्य घटनाएं हैं, जो सभी जैन तीर्थंकरों के जीवन में घटित होती हैं। गर्भ कल्याणक के दौरान तीर्थंकर प्रभु की आत्मा माता के गर्भ में आती है। जन्म कल्याणक के दौरान तीर्थंकर का जन्म होता है। दीक्षा कल्याणक के दौरान तीर्थंकर सब कुछ त्यागकर वन में जाकर मुनि दीक्षा ग्रहण करते हैं। कैवल्य ज्ञान कल्याणक के दौरान तीर्थंकर को कैवल्य की प्राप्ति होती है। वहीं मोक्ष कल्याणक के दौरान तीर्थंकर भगवान शरीर का त्यागकर अर्थात सभी कर्म नष्ट कर निर्वाण अर्थात मोक्ष को प्राप्त करते हैं। इस दौरान जैन मुनि के मंत्रोच्चारण से पाषाण की प्रतिमा भगवान बनती है।

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